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५३७. पत्र: मणिबहन पटेलको

देवलाली
१५ मई, १९२६

चि॰ मणि,

बाको जानेके लिए राजी कर लिया। लेकिन मंगलवारसे पहले [जानेको] तैयार नहीं हुई, इसलिए अब तो बुधवारको ही वहाँ पहुँच पायेगी। सूरज बहनको बता देना। शिष्य और शिष्या तुम्हें संतोष देते होंगे। सबमें घुल-मिल जाना सीखो। नन्दू बहनको मना सको तो मनाकर ले आओ। कार्यक्रममें परिवर्तन हुआ है, सो कृष्णदासने तुम्हें बताया होगा।

बापूके आशीर्वाद

[गुजरातीसे]
बापुना पत्रो——४: मणिबेन पटेलने

५३८. पत्र: प्रभाशंकर पट्टणीको

शनिवार
[१५ मई, १९२६][१]

सुज्ञ भाईश्री,

आपका पत्र मुझे देवलालीमें मिला। यहाँ मैं महाबलेश्वर जाते हुए चि॰ मथुरादाससे मिलने आया हूँ। आपके शरीरमें शक्ति जितनी जल्दी आनी चाहिए उतनी जल्दी आती हुई नहीं लगती। आपका वजन कितना हुआ, यह जाननेके लिए आतुर हूँ। दूध तो गाय अथवा बकरीका ही लेना चाहिए और वह भी आधा आउन्स पानी डालकर गरम किया जाना चाहिए; ज्यादा उबालना नहीं चाहिए। मैं महाबलेश्वरसे शनिवारको वापस आश्रम पहुँचनेकी उम्मीद रखता हूँ। कल वहाँ पहुँचूँगा।

मोहनदासके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ३१९९ ) की फोटो-नकलसे।
सौजन्य: महेश पट्टणी
  1. पत्रमें महाबलेश्वर जाते हुए मथुरादाससे मिलनेके उल्लेखसे।