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५३४. सन्देश: भावनगर रियासत जन-परिषद्को

[१५ मई, १९२६ से पूर्व][१]

भीलों और अन्त्यजोंके महान उद्धारक श्री अमृतलाल ठक्करको अपना अध्यक्ष बना कर परिषद्ने अपने-आपको सम्मानित किया है। आशा करता हूँ इस परिषद्में खद्दरको उसका उचित स्थान दिया जायेगा, उस खद्दरको जिसके द्वारा हजारों अस्पृश्य ईमानदारीसे अपनी आजीविका कमाते हैं और जिसके द्वारा हमारी असंख्य बहनें अपने स्त्रीत्वकी रक्षा करते हुए ईमानदारीसे चन्द पैसे कमाती हैं। मैं यह आशा भी करता हूँ कि अस्पृश्यता रूपी जो अभिशाप हिन्दू समाजमें घुस गया है, उसे समाप्त कर दिया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १७-५-१९२६

५३५. पत्र: मीराबहनको

शनिवार [१५ मई, १९२६][२]

यह पत्र मैं देवलालीसे लिख रहा हूँ। कार्यक्रममें बहुत फेरफार हो गया। आशा है, कृष्णदासने तुम्हें बताया होगा।

महाबलेश्वर——रविवार, सोमवार और मंगलवार। बुधवारको महाबलेश्वरसे चलकर गुरुवारको बम्बई और शुक्रवारको आश्रम पहुँचनेकी आशा रखता हूँ। लेकिन हो सकता है, शनिवारतक न भी पहुँचूँ। आशा है, तुम्हारा मन शान्त होगा। देवलालीमें मौसम बहुत अच्छा है। सस्नेह।

बापू

[पुनश्च:]

कृष्णदास तुम्हें बता देगा कि पत्र किस पतेपर लिखो।

बापू

अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ५१८४) से।
सौजन्य: मीराबहन
  1. यह सन्देश १५ मईको हुई परिषद्में पढ़ा गया था।
  2. डाककी मुहरसे।
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