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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बम्बईमें मिलेगी। देवदास अस्पतालमें है, यह तो तुम जानते होगे। कुसुम और धीरू भी बम्बईमें हैं। जितने समयतक देवदास अस्पतालमें है तबतक उनकी इच्छा जयाके साथ रहने की है।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९५५४ एम) की माइक्रोफिल्मसे।

५३३. वक्तव्य: रंगभेद विधेयकपर'

१४ मई, १९२६

गांधीजी शुक्रवारकी सुबह बम्बई पहुँचे। एसोसिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिने उनसे गाड़ीमें भट की और उन्हें केप टाउनसे आया एक सन्देशा दिखाया, जिसमें लिखा था कि रंग-भेद विधेयक पास हो गया है। उस समाचारसे गांधीजीको बड़ा दुःख हुआ। [उन्होंने कहा:]

विधेयकके दक्षिण आफ्रिका संघ-संसदके दोनों सदनोंकी संयुक्त बैठकमें पास हो जानेके समाचारसे मुझे दुःख हुआ है। श्री एन्ड्रयूजको और मुझे यह आशा थी कि विवेक-बुद्धिसे काम लिया जायेगा और विधेयक अस्वीकृत कर दिया जायेगा। सिद्धान्तकी दृष्टिसे देखें तो रंग-भेद विधेयक उस वर्ग क्षेत्र संरक्षण विधेयकसे भी अधिक बुरा है जिसके सम्बन्धमें गोलमेज परिषद् होने जा रही है। मैं सोचता था कि न्यायकी जिस भावनाके कारण संघ सरकारने एक विधेयकको पास करना स्थगित कर दिया है, वहीं भावना उसे दूसरे विधेयकको पास करनेपर जोर देनेसे रोकेगी। रंग-भेद विधेयकको पास करनेके सवालपर हुई कटुतापूर्ण बहसको देखते हुए वर्ग क्षेत्र संरक्षण विधेयकके बारेमें मनमें शंका पैदा होती है। मेरे विचारसे दक्षिण आफ्रिकाके गवर्नर जनरलका कर्तव्य बिलकुल स्पष्ट है। जनरल स्मट्सने तथा दक्षिण आफ्रिकाके अन्य नेताओंने इस विधेयकका जैसा जोरदार विरोध किया, उसे ध्यानमें रखते हुए गवर्नर जनरलको इस क्रूर विधेयकपर अपनी स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। यदि रंग-भेद विधेयक संघके कानूनका रूप ले लेता है तो दक्षिण आफ्रिकाके सारे मूल निवासी गोरे प्रवासियोंके विरोधी हो जायेंगे। मैं इसे उनके तई आत्मघातक कार्य मानता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १५-५-१९२६