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५२३. पत्र: कृष्णदासको

साबरमती आश्रम
१२ मई, १९२६

प्रिय कृष्णदास,

तुम्हारा तार मिला। उसके मिलनेसे पहले हमें यह नहीं मालूम था कि हरदयाल बाबूने उपवास तुम्हारे पिताजीके व्यवहारके कारण शुरू किया था। उन्होंने पत्र लिखकर मुझसे आशीर्वाद माँगा था। मुझसे उनके इस निवेदनको टालते नहीं बना। लेकिन तुम्हारा तार पानेके बादसे मैं सावधान हो गया। मुझे अब एक तार मिला है कि उपवास तोड़ दिया गया है, क्योंकि चाँदपुरके कुछ लोगोंने स्कूलके भवनका खर्च उठानेकी जिम्मेदारी ले ली है।

मैं तुम्हारे पत्रका इन्तजार करता रहा हूँ, लेकिन वह अभीतक नहीं आया है। गुरुजी कैसे हैं? तुम्हारा कैसा चल रहा है? मैंने तुम्हें बताया था या नहीं कि प्यारेलाल कुछ समयतक मथुरादासके पास रह आया है? देवदास पीलियामें पड़ा हुआ है और वापस आ गया है। रविवारको उसका अपेन्डिसाइटिसका ऑपरेशन हुआ है। बा और महादेव बम्बईमें उसके पास हैं। देवदासकी हालत बिलकुल ठीक चल रही है। कृषि-सम्बन्धी मसलोंकी बाबत बात करनेके लिए गवर्नरके बुलावेपर मैं महाबलेश्वर जानेवाला हूँ; तभी देवदासको देखता जाऊँगा, ऐसी सम्भावना है।

तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५४९) की माइक्रोफिल्मसे।