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  {{c|५२१. पत्र: जे॰ लाइल टेलफोर्डको[१]

१२ मई [१९२६]

अगर आप कृपापूर्वक मुझे अपनी पत्रिका भेजें तो पढ़कर देखूँ कि मैं उसके लायक कोई चीज भेज सकता हूँ या नहीं।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १२४३२) की फोटो-नकलसे।

५२२. पत्र: इ॰ एच॰ जेम्सको

साबरमती आश्रम
१२ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मित्रगण मेरे पास जितना ज्यादा साहित्य भेजते रहते हैं, अभी उस सबको पढ़नेके लिए समय निकाल पाना मेरे लिए कठिन है।

आप मुझसे अद्वैतवाद और द्वैतवादका भेद बतानेको कहते हैं। अद्वैतवादी सब-कुछका मूल ईश्वरको मानते हैं और सिर्फ ईश्वरके अस्तित्वको ही स्वीकार करते हैं और इसलिए ईश्वर और उसकी सृष्टिमें पूर्ण तादात्म्यका आग्रह करके चलते हैं। द्वैतवादी यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि ईश्वर और जीव एक नहीं हो सकते।

हृदयसे आपका,

श्री इ॰ एच॰ जेम्स
कंकॉर्ड मास, संयुक्त राज्य अमेरिका

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १२४३४) की फोटो-नकलसे।

  1. अपने २५-२-१९२६ के पत्रमें टेलफोर्डने गांधीजीसे सामाजिक प्रगतिके उद्देश्यसे प्रकाशित अपनी मासिक पत्रिका इन्टरनेशनल फोरमके लिए कोई लेख भेजनेका अनुरोध किया था।