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पत्र: शरदेन्दु बी॰ बनर्जीको

सबसे अच्छा है। इसलिए, मैं आशा करता हूँ कि आपको अपने अन्दर जो दोष दिखाई दें, उनके बावजूद आप तबतक खादी-कार्य करना नहीं छोड़ेंगे जबतक कि वे दोष आपके उस सेवाकार्यमें बाधक न हों। इस प्रकार, जो व्यक्ति बेईमान अथवा शराबी है या ऐसे ही किसी अन्य दोषका शिकार है, वह स्वभावतः इस सेवाकार्यके लिए अनुपयुक्त है। लेकिन उदाहरणके लिए जो व्यक्ति बहुत कोशिश करके भी अपनी पत्नीके साथ ऐसा सम्बन्ध नहीं बना पाता हो, मानो वह उस स्त्रीका भाई है, वह उस सेवाकार्यके लिए अनुपयुक्त नहीं है। मेरा खयाल है, मैंने अपनी बात काफी साफ समझा दी है। और अब मैं आशा करता हूँ कि आप खादीकार्यमें, जिससे आपको इतना प्रेम है और जिसे आप इतनी अच्छी तरह करते हैं, फिरसे लग जायेंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के॰ सन्तानम्


कुम्मुट्टि थिडाल


जिला वंजीर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५४५) की माइक्रोफिल्मसे।

५१३. पत्र: शरदेन्दु बी॰ बनर्जीको

साबरमती आश्रम
११ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप सचमुच चाहते क्या हैं। क्या आप कुछ दिन मेरे साथ रहना चाहते हैं? अगर आप रहना चाहते हैं तो इस बीच आपका क्या करनेका इरादा है? आप तो जानते ही हैं कि मेरा जीवन बड़ा व्यस्त है। मुझे लोगोंसे बातचीत करनेका समय नहीं मिलता, और जबतक मुझे किसीसे काम नहीं होता, तबतक मैं उससे शायद ही कभी बातचीत करता हूँ। इसलिए अगर कोई मेरे पास आता है तो उसे तुरन्त किसी-न-किसी उपयोगी काममें लगा दिया जाता है और उसे शुरुआत आम तौरपर पाखाने आदिकी सफाई तथा सूत कातनेसे करनी पड़ती है।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत शरदेन्दु बी॰ बनर्जी


१३, एडमन्स्टन रोड


इलाहाबाद

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५४६) की माइक्रोफिल्मसे ।