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५०७. पत्र: रामेश्वरदास पोद्दारको

साबरमती आश्रम
रविवार [९ मई, १९२६][१]

भाई रामेश्वरजी,

आपका पत्र मिला। एकांतका अर्थ यह है कि आपकी धर्मपत्नीसे आपको वियोगमें रहना चाहिये। नासिक जाकर कोई एकान्त स्थलमें रहना अवश्य ठीक होगा। और ठंडी ऋतुका आरंभ होनेके बाद आश्रम में भी रह सकते हैं।

आपका,
मोहनदास

मूल पत्र (जी॰ एन॰ १६३ ए) की फोटो-नकल से।

५०८. पत्र: वसुमती पण्डितको

साबरमती आश्रम
रविवार, [९ मई, १९२६][२]

चि॰ वसुमती,

तुम्हारा पत्र मिला। इस बारकी लिखावट अच्छी कही जा सकती है। तुम जब आओगी तब यही कोठरी न सही तो भी मीरा बनके साथवाली कोठरी तो अवश्य दूँगा। मुझे दो-तीन दिनोंके लिए महाबलेश्वर जाना होगा। देवदासको एपेन्डिसाइटिस होनेके कारण बम्बई ऑपरेशन करानेके लिए भेजा है। आज हो गया होगा। बा और महादेव साथ गये हैं। तुमने समाचारपत्रोंमें ६ तारीखको महाबलेश्वर जानेकी जो खबर पढ़ी थी वह तो गलत थी। रामदास फिलहाल महुवामें होगा।

बापूके आशीर्वाद

श्रीमती वसुमतीबहन धीमतराय नवलराम


केलापीठ
गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ४७०) से


सौजन्य: वसुमती पण्डित
  1. डाककी मुहरसे।
  2. पत्रमें आये देवदासको बीमारी तथा गांधीजीकी महाबलेश्वर यात्राके उल्लेखसे।