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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  आपके साथी श्री मैक्यून जूनके शुरूमें आश्रम आ सकते हैं।

हृदयसे आपका,

श्री ए॰ ए॰ पॉल[१]


७, मिलर रोड


किलपॉक, मद्रास

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११३७०) की फोटो-नकलसे।

५०६. पत्र: मोतीलाल रायको

साबरमती आश्रम
९ मई, १९२६

प्रिय मोती बाबू,

आशा है कि ऋणके सम्बन्धमें लिखा मेरा पत्र[२] आपको मिल गया होगा। जिस इकरारनामेपर[३] हस्ताक्षर करना है, उसमें कृपया निम्न संशोधन कर लीजिए:

ब्याज प्रतिशत प्रतिवर्ष न होकर प्रति हजार प्रतिवर्ष होना चाहिए। ब्याज तो केवल नाममात्रका ही रखनेका खयाल है। एक सुधार और: जहाँ यह वाक्य आता है: "खादीका विक्रय मूल्य बुनाई होनेतक लगनेवाली लागत तथा उसका ६/४ प्रतिशत व्यवस्था व्यय, इन दोनोंके जोड़से ज्यादा नहीं होगा।" वहाँ उसकी जगह "खादीका विक्रय मूल्य संघ द्वारा समय-समयपर निर्धारित दरसे अधिक नहीं होगा", ऐसा कहिए।

इकरारनामेमें यह सुधार खादी-संस्थाओंको इस मामलेमें अपनी स्थितिमें आवश्यक परिवर्तन कर सकनेका अवकाश देनेके लिए किया गया है। इकरारनामेमें यहीं शर्त रखी गई है। जब आपके लिए यह मसविदा तैयार किया था, उस समय श्री बैंकर यहाँ नहीं थे और न मेरे पास संघ द्वारा निर्धारित नमूना ही था। वापस लौटनेपर उन्होंने इन कमियोंकी ओर मेरा ध्यान खींचा। कृपया मुझे क्षमा करें।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५४२) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. भारत, बमों और लंकाके ईसाई विद्यार्थी संघके महामन्त्री।
  2. देखिए "पत्र: मोतीलाल रायको", १-५-१९२६।
  3. देखिए "अ॰ भा॰ च॰ संघसे ऋण लेनेके लिए इकरारनामेका मसविदा", १-५-१९२६।