अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी श्री सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजको उनके महान् त्यागके लिए और उनके परिश्रम, अटूट आशा और विश्वासके लिए, जिनके बिना अबतक जो शुभ परिणाम निकले हैं वे असम्भव होते, सादर धन्यवाद देती है।
भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही बातचीतके अबतकके परिणामोंसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अनभिज्ञ नहीं है, फिर भी वह जनताको चेतावनी देती है कि उसे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय प्रवासियोंकी ओरसे किये जानेवाले अपने प्रयत्नोंमें ढील नहीं आने देनी चाहिए। और आशा करती है कि जबतक प्रवासियोंकी स्थिति सम्माननीय और सन्तोषजनक नहीं हो जाती तबतक जनता चैन नहीं लेगी।
कांग्रेस अध्यक्षको भारत सरकारको बधाई सन्देश भेजनेका अधिकार दिया जाता है।
इंडियन रिव्यू, मई, १९२६
४८९. टिप्पणियाँ
मद्य-निषेध और मद्रास सरकार
श्रीयुत चक्रवर्ती राजगोपालाचारीने एक सरकारी आदेशका पता लगाया है। वैसे वह बड़ा सीधा-सादा है, लेकिन बहुत अर्थपूर्ण है। आदेशकी नकल अखबारोंको भेजते हुए साथकी टिप्पणीमें उन्होंने निम्न प्रकार लिखा है:
सरकारी खर्चका बोझ हमपर दिन-दिन बढ़ता ही जाता है। सुधारोत्तर कालमें हमपर जिन खर्चोका बोझ डाला गया है, उनमें से एक है नये स्वास्थ्य अधिकारियों और उनके सहायक कर्मचारियोंके खर्चका बोझ। इन लोगोंका काम जनताको हैजा, मलेरिया आदिकी रोकथामके लिए आवश्यक शिक्षा देना है।
ऐसा जान पड़ता है कि कुछ कर्मचारियोंने यह जिज्ञासा की कि क्या उन्हें शराबखोरीके खिलाफ भी प्रचार करना चाहिए। जो नपा-तुला उत्तर मिला, वह इस प्रकार था:
सरकारका खयाल है कि जन-स्वास्थ्य अधिकारियोंको शराबखोरीके खिलाफ प्रचार नहीं करना चाहिए।
ध्यान देनेकी बात है कि शराब-विरोधी प्रचारपर रोक लगानेका कोई कारण नहीं बताया गया है। इसके विपरीत, लोक-इच्छापर आधारित किसी सरकारके अधीन स्वास्थ्यके इन रक्षकोंसे कोई भी यही आशा करेगा कि वे लोगोंको साफ-साफ समझायें कि शरीरपर शराब आदिका कितना बुरा असर पड़ता है। उनसे यही अपेक्षा की जायेगी कि वे जनताको बतायें कि मानव शरीरपर उसका कैसा घातक प्रभाव पड़ता है और मेजिक लैन्टर्न (जादुई लालटेन) के जरिये उसे सजीव ढंगसे दिखायें कि शराब जहाँ-कहीं प्रवेश कर जाती है वहाँ कितनी बर्बादी और तबाही होती है। लेकिन,