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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और मैं जानता हूँ कि आप जल्दी ही मुझसे कहेंगे कि अब ऐसे तार भेजना बन्द कीजिए। सौभाग्यसे खादी आन्दोलन अपनेसे सम्बन्धित समाचारोंके प्रचारपर उतना अधिक निर्भर नहीं करता, जितना कि इस बातपर कि चरखोंके वितरणकी ठीक व्यवस्था हो और ठीक ढंगसे सूतका संग्रह करके, उससे खादी तैयार करके बेची जाये।

मैं नहीं समझ पाता कि आपके संवाददाताको हर बुधवारकी शामको 'यंग इंडिया' की प्रति प्राप्त करनेमें क्या कठिनाइयाँ हैं। कोई कठिनाई होनी तो नहीं चाहिए। फिर भी मैं स्वामीसे बात करके आपको बताऊँगा।

आशा है, आपके कार्यालयमें सब खादी ही पहनते होंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस॰ सदानन्द

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५२७) की माइक्रोफिल्मसे।

४८६. पत्र: आर॰ डी॰ सुब्रह्मण्यम्को

साबरमती आश्रम
३ मई, १९२६

प्रिय भाई,

आपका पोस्टकार्ड मिला। आप चरखेपर कितना समय लगाते हैं, इसका कोई महत्त्व नहीं है। मुझे जो चीज अच्छी लगी, वह है उसमें निहित आपकी यह भावना कि आप अपनी मेहनतकी बदौलत 'यंग इंडिया' की प्रति प्राप्त किया करेंगे। इसलिए आप जैसे ही ५० हजार गज सूत भेजेंगे, मैं आपको 'यंग इंडिया' की प्रति भेजने लगूँगा।

सूत तो तब भी राष्ट्रीय सम्पत्ति ही रहेगा, क्योंकि मेरा इरादा यही था कि सूत चरखा संघको या सत्याग्रह आश्रमको दे दूँ और फिर उनसे आपके नामपर 'यंग इंडिया' के लिए चन्दा ले लूँ। इसलिए इसमें कोई ऐसी बात नहीं है जो आपकी अन्तरात्माको खटके, क्योंकि आप इतने घंटोंके श्रमके बदले ही एक सालतक 'यंग इंडिया' प्राप्त करेंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत आर॰ डी॰ सुब्रह्मण्यम्


पश्चिमी श्रीरंगपट्टनम रोड


एक्सटेंशन, सेलम

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५२८) की माइक्रोफिल्म से।