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४८१. मजदूर भाइयोंके सम्बन्धमें

अहमदाबादके मजदूरोंमें आजकल मद्यपान त्यागका आन्दोलन सुचारु रूपसे चल रहा है। सब लोग इस बातसे परिचित नहीं है कि अमेरिकामें मजदूर लोगोंने, जो पहले शराब पिया करते थे कुछ वर्षोसे शराब पीना बन्द कर दिया है। नीचे दिये जा रहे तथ्य उन्हीं की एक पुस्तिकासे लिये गये हैं।

अमेरिकी रेलोंमें काम करनेवाले लाखों मजदूरोंने अपने संघोंकी बैठकोंमें मद्य-निषेधकी प्रशंसा की है और अपना यह अनुभव बताया है कि शराबसे अच्छे नागरिक खराब आदमी हो जाते हैं, अच्छे कमेरे मजदूर निकम्मे बन जाते हैं तथा अच्छे पुरुष अपनी पत्नियोंपर अत्याचार करने लग जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि यदि मजदूर अभीतक शराब पीते होते तो आज जो उनके अपने सैकड़ों बैंक हो गये हैं और उनमें उनके लाखों रुपये इकट्ठे हैं, यह नहीं हो सकता था। बैंक संघके मन्त्रीका कहना है कि अन्तिम पिछले चार वर्षोंमें अमेरिकी मजदूर संघोंमें तीव्र गतिसे ईमानदार और होशियार नेता पैदा हुए हैं और हो रहे हैं।

यदि अहमदाबादके मजदूर भी शराबको विष मानकर और उसका पीना पाप समझकर उसे छोड़ दें तो उनकी स्थिति कितनी सुधर जाये, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २-५-१९२६

४८२. पत्र: रोमाँ रोलाँको

२ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपके १७ फरवरीके स्नेहपूर्ण और हृदय-स्पर्शी पत्रका मीरा द्वारा किया गया अनुवाद मेरे सामने है। आपका नाम जाहिर किये बिना मैं बड़ी सावधानीके साथ इस पत्रके कुछ अंशोंका उपयोग इस अपेक्षासे करता रहा हूँ कि आपको इसपर कोई आपत्ति नहीं होगी।

यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आप मेरे इस विचारसे सहमत हैं कि इस साल मेरा यूरोप न जाना ही ठीक है।

यूरोपमें वहाँके लोगों द्वारा भारतकी आवाजपर ध्यान देनेके सम्बन्धमें मेरा खयाल यह है कि जबतक भारत और अधिक तथा और भी बड़े पैमानेपर कष्ट सहन नहीं करता तबतक यूरोप या पाश्चात्य दुनियामें कहीं भी लोग उसकी आवाजपर कोई