पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/४६६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४३०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हुई और परेशानीसे भी मैं बच गया, इसकी मुझे खुशी है, पर इस बातका निश्चय ही दुःख है कि अब कुछ और समयतक मैं आपसे और मीठूबहनसे नहीं मिल सकूँगा। मैं माणिकबाई और श्री बहादुरजीसे भी मिलना चाहता था। मैंने भूलसे उन्हें डाक्टर कहा था, इसके लिए मैं उनसे क्षमा माँगता हूँ।

मीठूबहनने मुझे बताया है कि आप अभी भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं दिखतीं। अच्छा होता कि आप अब भी कश्मीर जा सकतीं।

अभी कुछ दिन पहले तक यहाँ मौसम सुहावना और ठण्डा था और हम सब लोग चिन्तित होने लगे थे, क्योंकि ऐसे ठण्डे मौसमसे वर्षाकी सम्भावना नहीं होती। पर अब यहाँ मौसम सचमुच गरम हो गया है, और इस कारण हर कोई प्रसन्न है। कारण, यदि यह गरम मौसम चालू रहता है तो जूनके शुरूमें ही बारिश आनेकी आशा की जा सकती है।

[पुनश्च:]

ऊपरका अंश कल लिखवाया था। आज मथुरादासका पत्र मिला। आप जानती ही हैं कि वह देवलालीमें है। उसने लिखा है कि डॉ॰ मेहता उसे पंचगनी जानेको कहते हैं। उनका कहना है कि मई और जूनके शुरूके कुछ दिनोंतक, जबतक वर्षा नहीं होती, देवलालीमें बहुत गर्मी पड़ती है। वह माथेरान या सिंहगढ़ जानेके पक्षमें नहीं है। मने उसके लिए सर प्रभाशंकर पट्टणीका मकान सुलभ करनेका प्रयत्न किया था, पर वह जूनतक नहीं मिल सकता। क्या आप स्वयं अथवा अपने किसी मित्रकी मार्फत यह पता करनेका प्रयत्न करेंगी कि मथुरादासके लिए एक महीने अथवा पाँच-छ: सप्ताहके लिए कोई मकान मिल सकता है या नहीं? हो सके तो उसे जल्दीसे-जल्दी पंचगनी चले जाना चाहिए। उसका किराया तो मथुरादास ही देगा। यदि आपकी निगाहमें कोई जगह हो तो मथुरादासको विडी हॉल, देवलालीके पतेपर तार दे दें और मुझे पत्र द्वारा सूचित करें।

आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५२२) की माइक्रोफिल्मसे।