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४७०. अ॰ भा॰ च॰ संघसे ऋण लेनेके लिए इकरारनामेका मसविदा

[१ मई, १९२६][१]

साथकी अनुसूचीमें बताई गई प्रवर्तक संघकी चन्द्रनगर तथा अन्य स्थानोंकी सारी सम्पत्तिके एक-मात्र स्वामीकी हैसियतसे मैं स्वीकार करता हूँ कि अखिल भारतीय चरखा संघ, अहमदाबादसे मुझे ऋणके रूपमें नकद ६,००० रुपये (छः हजार रुपये मात्र) प्राप्त हुए। इस ॠणका भुगतान आजसे पाँच सालकी अवधिमें १७०, बहू बाजार रोड, कलकत्ता स्थित खादी प्रतिष्ठानके कार्यालयमें अथवा आपके द्वारा समय-समयपर निर्धारित किये जानेवाले स्थानपर किया जायेगा।

ऋणकी राशिपर प्रतिवर्ष एक प्रतिशतके हिसाबसे ब्याज देना होगा, जिसका भुगतान तीन-तीन महीनेमें उक्त कार्यालयमें अथवा आपके द्वारा समय-समयपर निर्धारित किये जानेवाले स्थानपर किया जायेगा।

आपके एजेंट उक्त खादी प्रतिष्ठानवाले श्री सतीशचन्द्र दासगुप्त अथवा आपके द्वारा समय-समयपर लिखित रूपमें नियुक्त किये जानेवाले अन्य व्यक्तिसे प्राप्त मूलधन और व्याजको रसीद उतने मूलधन और व्याजके भुगतानका पर्याप्त प्रमाण होगी।

उक्त ऋणकी शर्तें ये हैं:

(१) प्राप्त धन राशिका उपयोग बंगालमें हाथ-कती और हाथ-बुनी खादीके उत्पादनके लिए किया जायेगा।

(२) इस खादीका विक्रय मूल्य बुनाई होनेतक लगनेवाली लागत तथा उसका ६/४ प्रतिशत व्यवस्था व्यय, इन दोनोंके जोड़से ज्यादा नहीं होगा।

(३) प्रवर्तक संघ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूपमें अर्ध-खादी अर्थात् ऐसा कपड़ा जिसमें मिलका सूत इस्तेमाल किया गया हो अथवा मशीनसे बुने कपड़ेका अथवा भारतीय या विदेशी मिलोंके कपड़ेका व्यापार नहीं करेगा।

(४) प्रवर्तक संघ चरखा संघकी पहलेसे लिखित मंजूरीके बिना अपनी अनुसूचित सम्पत्तिको बन्धक रखकर कोई और ऋण नहीं लेगा।

(५) प्रवर्तक संघ सारी हाथ कताई और खादीके कारोबारका पूरा-पूरा हिसाब रखेगा और खादीके उत्पादनसे सम्बन्धित इसके केन्द्रीय तथा शाखा भण्डारोंका उनके काम समयके दौरान चरखा संघके प्रतिनिधि या प्रतिनिधियों द्वारा निरीक्षण किया जा सकेगा तथा प्रवर्तक संघ अपने खादी-सम्बन्धी पूरे कारोबारका तिमाही हिसाब अखिल भारतीय चरखा संघ, अहमदाबादके मन्त्रीको भेजेगा।

  1. देखिए अगले दो शीर्षक।