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४६७. पत्र: श्रीप्रकाशको

साबरमती आश्रम
१ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

अबतक आपका पत्र मुझे नहीं मिल पाया है। अपना साथमें 'फ्रीडम' के लिए लिखा लेख[१]——अगर इसे लेख कहा जा सके तो—भेज रहा हूँ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत श्रीप्रकाश


सेवाश्रम


बनारस कैंट

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५२३) की माइक्रोफिल्मसे।

४६८. सन्देश: दक्षिण आफ्रिकासे एन्ड्रयूजकी वापसीपर

[१ मई, १९२६][२]

हम श्री एन्ड्रयूजका जो सबसे अच्छा स्वागत कर सकते हैं और जो स्वागत उनके मनको सबसे अधिक रुचेगा, वह यह है कि हम दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय प्रवासियोंके न्यायोचित अधिकारोंपर आग्रह रखकर और उन्हें वे अधिकार दिलाकर भारतके सम्मानकी रक्षा करनेका दृढ़ संकल्प करें। और यह काम हम तभी कर सकेंगे जब श्री एन्ड्रयूजकी असीम शक्ति, उद्यमशीलता, अदम्य साहस, अडिग आशा, ईश्वरमें जीवन्त आस्था और मानवीयता आदि गुणोंको अपने जीवनमें उतारें।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १-५-१९२६
  1. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. सी॰ एफ॰ एन्ड्यूज इसी दिन बम्बई पहुँचे थे।