४५४. पत्र: अब्बास तैयबजीको
साबरमती आश्रम
३० अप्रैल, १९२६
जवानीके जोशसे भरा आपका खत मिला। कुछ लोग साल-दर-साल बूढ़े होते जाते हैं, पर आपकी उलटी हालत है। मुझे आपसे रश्क होता है और अब तो मुझे लोगोंसे कहना ही पड़ेगा कि ज्यों-ज्यों आपकी दाढ़ी सफेद होती जाती है, त्यों-त्यों आप जवान होते जा रहे हैं। खुदा करे, ऐसा एक लम्बे अर्सेतक चलता रहे।
आबोहवाकी तब्दीलीके लिए और सलाह-मशविरा करनेके खयालसे आप चाहें तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठकमें जरूर आयें, खास तौरसे जब आप इतने नजदीक हैं। आप अपने दौरेको दो-तीन दिनोंके लिए मुल्तवी कर सकते हैं।
मैं उम्मीद करता हूँ कि रामदासके बारेमें आप जो-कुछ कहते हैं, वह वाकई सही है। मैं जानता हूँ कि वह एक अच्छा तीमारदार है और वह बुजुर्गोंकी—माफ कीजिए, जहाँतक आपका ताल्लुक है, आप जैसे जवानोंकी तीमारदारी अच्छी तरह कर सकता है।
यहाँ अब गर्मी पूरे जोरसे शुरू हो गई है।
आपका,
मो॰ क॰ गांधी
वढवान सिटी
अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ९५५४) की फोटो-नकलसे।