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४५३. बंगाल सहायता समिति

एक सज्जन ने 'वेलफेयर' की एक कतरन भजी है, जिसमें बंगाल सहायता समितिके कार्योपर टिप्पणी की गई है। इस लेखमें समितिकी रिपोर्टकी समीक्षाकी गई है। पत्र लेखक कहते हैं:

चूंकि इस लेखमें सहायताके उपायोंके रूपमें खादी संगठनोंकी उपादेयतापर गम्भीर शंका उठाई गई है, इसलिए मैं आपसे निवेदन करूँगा कि आप सर प्रफुल्लचन्द्र राय या खादी प्रतिष्ठानसे तथ्यों और आँकड़ोंके साथ अपना स्पष्टीकरण देनेका अनुरोध करें। मैं इतना और बता देना चाहता हूँ कि मैं बराबर खादी ही पहनता हूँ, यद्यपि यह कहते हुए दुःख होता है कि खुद सूत नहीं कातता। वैसे मेरे परिवारकी कुछ स्त्रियाँ कातती हैं। यह सब बात आपको यह विश्वास दिलानेके लिए लिख गया कि खादीके खिलाफ मेरे मनमें कोई पूर्वग्रह नहीं है।

लेकिन स्पष्टीकरण देना अनावश्यक था। स्वाभाविक है कि श्रीयुत रामानन्द चटर्जी पत्रिका प्रकाशित किसी भी चीजको लोग महत्त्व देंगे और उसपर उनका ध्यान जायेगा ही। इसलिए मैंने वह कतरन और पत्र तुरन्त श्रीयुत सतीशचन्द्र दासगुप्तको भेज दिया और उन्होंने बड़ी तत्परताके साथ डॉ॰ रायके और अपने हस्ताक्षरोंसे युक्त निम्नलिखित स्पष्टीकरण[१] भेज दिया है। यहाँ 'वेलफेयर' के लेखको उद्धृत करनेकी जरूरत नहीं है क्योंकि उस लेखमें जो शंकाएँ उठाई गई हैं, उनका सार डॉ॰ रायके उत्तरमें आ गया है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया,२९-४-१९२६
  1. यहाँ नहीं दिया जा रहा है।