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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ओर कोई ध्यान दिये बिना संख्याकी बात सोचनेके बजाय उस शक्तिके विषयमें सोचें जो थोड़े-से दृढ़ और लगनवाले व्यक्तियोंमें है। विस्तारसे अधिक गहराईकी आवश्यकता है। अगर हम पक्की नींव डालेंगे तो भावी पीढ़ी उसपर ठोस इमारत खड़ी कर सकेगी, लेकिन अगर हम नींव ही रेतपर डालेंगे तो फिर भावी पीढ़ीके सामने नई और पक्की नींव डालनेके लिए उस रेतको खोदकर निकालनेके अलावा और क्या चारा रह जायेगा?

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २९-४-१९२६

४५२. टिप्पणियाँ

सच्चा परोपकारी व्यक्ति

दक्षिण आफ्रिकी सरकारका निर्णय प्रकाशित होनेसे पूर्व ही दक्षिण आफ्रिकी भारतीय कांग्रेस, डर्बनके मन्त्रीकी ओरसे मुझे निम्नलिखित तार मिला:

कांग्रेसकी यह बैठक श्री एन्ड्रयूजको दक्षिण आफ्रिका भेजनके लिए आपको धन्यवाद देती है और आपके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है। उन्होंने बड़ी ही नेकी और मेहनतसे काम करके दोनों जातियोंकी भावनाओंको काफी बदल दिया है। हमारी यही कामना है कि वे दीर्घायु हों और मानवताकी सेवाका अपना यह शुभ कार्य जारी रखें।

श्री एन्ड्रयूजकी दक्षिण आफ्रिकाकी इस अविश्रान्त यात्राके दौरान लोगोंने इस तरहके और भी बहुत-से तार भेजे, लेकिन मैंने उनको प्रकाशित नहीं किया। किन्तु, मुझे लगा कि अब उक्त तारका प्रकाशन रोक रखना ठीक नहीं है——विशेषकर उनकी यात्राके जो सुफल निकलें हैं, उनको देखते हुए। मैं जानता हूँ कि इस निःस्वार्थ अंग्रेजकी सेवाओंके महत्त्वको लोगोंने बराबर ठीक-ठीक नहीं समझा है। श्री एन्ड्रयूज कोई कूटनीतिज्ञ नहीं है, इसलिए वे जो भी तार भेजते हैं, वे उनके दिन-प्रतिदिनके विचार और भावनाओंके सच्चे प्रतिबिम्ब होते हैं। इसलिए, हम उन्हें कभी निराश देखते हैं तो कभी अत्यन्त आशान्वित; लेकिन वे पिछले कुछ महीनोंसे जो तार भेजते रहे हैं, उन्हें अगर कोई एकत्र करके धैर्यपूर्वक देखे तो पायेगा कि आशाकी एक श्रृंखला बराबर बनी हुई है——जहाँ संशयवादियोंके लिए आशाका कोई आधार नहीं होता वहाँ भी यह श्रृंखला टूटी नहीं है। अपने आखिरी तारमें, जो उन्होंने दक्षिण आफ्रिकासे रवाना होनेसे पहले भेजा है, वे कहते हैं कि आशा मत छोड़िए, क्योंकि मुझे पूरी आशा है। अगर उनको भारतीय पक्षकी न्याय्यतामें विश्वास है तो दक्षिण आफ्रिकी राजनयिकोंमें भी कुछ कम नहीं है। एन्ड्रयूज विशुद्ध मानवतावादी व्यक्ति हैं, इसलिए वे सबका विश्वास करके चलते हैं। भले ही सारी दुनिया उनके साथ