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४४९. दक्षिण आफ्रिका

भारत सरकारने दक्षिण आफ्रिकामें जो कूटनीतिक विजय पाई है, उसपर उसका प्रसन्न होना हर तरहसे वाजिब है। अन्यत्र मैंने यह दिखाया[१] है कि सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजकी असाधारण निष्ठा और परिश्रमके बिना दक्षिण आफ्रिकामें कुछ भी नहीं किया जा सकता था। फिर भी, अगर भारत सरकारने भारतीयोंके दावेकी पैरवी करनेमें तनिक भी शिथिलता दिखाई होती तो निस्सन्देह दक्षिण आफ्रिकी संघ संसदने क्षेत्र संरक्षण विधेयक पास कर दिया होता। यह बहुत ही बड़ी उपलब्धि है कि विधेयकको फिलहाल स्थगित कर दिया गया है और एक सम्मेलन बुलानेपर सहमति हो गई है।

लेकिन, दूधमें एक मक्खी भी पड़ी हुई है। संघ सरकारने एक शर्त रख दी कि सम्मेलन द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव ऐसा होना चाहिए "जिसके अन्तर्गत उचित और वैध उपायोंसे पाश्चात्य जीवन-स्तरको सुरक्षा प्रदान की जा सके।" भारत सरकारने इस शर्तको स्वीकार कर लिया। इस शर्तके कारण न्यायोचित हल असम्भव हो जा सकता है। 'पाश्चात्य जीवन-स्तरको सुरक्षा प्रदान करने" या "उचित और वैध उपायों" का मतलब क्या है? उदाहरणके लिए, सुरक्षा प्रदान करनेका मतलब यह भी हो सकता है कि बागानोंमें काम करनेवाले गिरमिटिया भारतीय, जिन्हें शायद प्रतिमास ३० शिलिंग मिलते हैं, यूरोपीय कारीगरोंकी तरह ईंटके बने पाँच-पाँच कमरोंके मकानोंमें रहें, सिरसे पैरतक यूरोपीय पोशाकें पहनें और यूरोपीय खाना खायें; और "वैध तथा उचित उपायों" का मतलब यह हो सकता है कि आर्थिक और सफाई-सम्बन्धी ऐसे उचित कानून बनाकर, जो सवपर समान रूपसे लागू हों, सभी लोगोंसे स्वास्थ्य और सफाई विषयक आवश्यकताओंके अनुरूप अच्छे जीवन-स्तरका पालन कराया जाये और सारे कारोबारका नियमन यूरोपीय मानदण्डको ध्यानमें रखकर किया जाये। इस दूसरी व्याख्यापर भारतीयोंको कोई आपत्ति नहीं होगी और न होनी चाहिए। इस बातपर उन्होंने कभी कोई आपत्ति की भी नहीं है कि वे सफाई या आर्थिक जीवन-सम्बन्धी सामान्य अपेक्षाओंको पूरा करें।

किन्तु अभी-अभी जो पत्र-व्यवहार प्रकाशित हुआ है, उससे मैं समझ सकता हूँ कि संघ सरकार क्या चाहेगी। वह भारतीयोंको स्वदेश लौटाना चाहती है, उनके रहन-सहनमें सुधार नहीं चाहती है। अगर भारत सरकार इस प्रश्नपर उसकी इच्छाका विशेष ख्याल रखते हुए विचार करनेको तैयार नहीं होती तो संघ सरकार ऐसे किसी सम्मेलनके आयोजनमें शरीक नहीं होगी। लॉर्ड रीडिंग इस कठिनाईसे बड़ी चतुराईके साथ निकल गये। उन्होंने कह दिया कि जिस भारतीय राहत अधिनियम ( इंडियन रिलीफ ऐक्ट) पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, उसमें भारतीयोंके स्वेच्छासे स्वदेश लौटनेकी जैसी मर्यादित योजना है, वैसी किसी योजनापर मुझे कोई आपत्ति

  1. देखिए "वक्तव्य: दक्षिण आफ्रिकाकी समस्यापर २४-४-१९२६।