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४४६. पत्र: जुगलकिशोर बिड़लाको

साबरमती आश्रम
बुधवार, २८ अप्रैल, १९२६

भाई जुगलकिशोरजी,

आपका पत्र आज मिला। अब मैं लड़कीके लिये पैसे भेज दूँगा। आज तो इस चीनी विद्यार्थीमें सब शुभ गुण प्रतीत होते हैं। उसीसे मांगनेसे उसका हिंदुस्तानी नाम दिया गया है, और हम उसको 'शांति' नामसे बुलाते हैं।

हिंदु-मुसलमानोंकी आजकलकी अशांति यद्यपि दुःखद है तदपि उसीमें से मैं शांतिके किरण देख रहा हूं। हम धर्म को न भूलें इतनी प्रार्थना ईश्वरसे निरन्तर करता हूं।

आपका,
मोहनदास

मूल पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६१२६) से

सौजन्य: घनश्यामदास बिड़ला

४४७. पत्र: देवचन्द पारेखको

साबरमती आश्रम
बुधवार [२८ अप्रैल, १९२६][१]

भाईश्री देवचन्दभाई,

आपका पत्र मिला। आपने दीवान साहबको[२] ठीक ही लिखा है। यदि आठ-एक दिनोंमें नहीं आ जाता तो आपको खबर दूँगा।

बापू

गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ ५७०६) की फोटो-नकलसे।

  1. ढाककी मुहरसे।
  2. पोरबन्दरके दीवान।