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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

३. ब्रह्मचर्यके पालनके लिए सादा और अल्पाहार [करना] चाहिए। मसालों और मादक पदार्थोंका त्याग करना चाहिये।

४. ताजी और हरी सब्जियोंमें तथा दालोंमें अहिंसाकी दृष्टिसे जो भेद किया जाता है उसमें कुछ रहस्य अवश्य है। लेकिन आजकल तो इसमें ही धर्म माना जाता है, इससे यह भेद दूषणरूप हो गया है।

५. जबतक स्त्री पराधीनावस्थामें है और ऐसा मानती है कि वह पराधीन है तबतक उसे अधिक अंकुश सहन करना पड़ेगा, यह कथन ठीक जान पड़ता है।

१. मैं यह नहीं मानता कि धर्म ऐसा कहता है कि जो पति करे वैसा ही पत्नीको भी करना चाहिए।

२. पति पत्नीपर जोर-जबर्दस्ती नहीं कर सकता। वह उसे खादी प्रेमके बलपर पहना सके तो ही पहनाये।

३. वर और वधू दोनोंको खादीका आग्रह रखना चाहिए। किन्तु जबतक पिताको सेवाकी आवश्यकता है तबतक पुत्रको उससे अलग नहीं होना चाहिए।

४. पहली पत्नीकी अनुमति हो अथवा न हो परन्तु दूसरी पत्नी करना मुझे तो अनुचित लगता है। मेरी दृष्टिसे यदि पहली पत्नीसे सन्तान न हो तो भी पुरुषको दूसरा विवाह नहीं करना चाहिए।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९९१०) की माइक्रोफिल्मसे।

४३९. पत्र: मथुरादास त्रिकमजीको

२६ अप्रैल, १९२६

मेरा वहाँ जानेका तनिक भी मन नहीं होता। एक घंटेके लिए आज भी आश्रम छोड़नेका जी नहीं होता।

[गुजरातीसे]
बापुनी प्रसादी