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पत्र: गुलाबदास लालजीको

  मोतीलालजीके साथ प्रसंग आनेपर बात कर लूँगा। मैं मानता हूँ कि इस सम्बन्धमें कोई अड़चन नहीं आयेगी। देवदासको अभी यहाँसे बाहर भेजनेकी इच्छा नहीं होती। उसका स्वास्थ्य फिर अच्छी तरह सुधर जाये तभी यहाँसे निकलना ठीक रहेगा। अगर यूरोप जाना हो तो क्या किया जाये और किनको साथ ले जाया जाये, यह विचार तो करना ही होगा। अभी तो विचार ऐसा है कि महादेव और देवदास साथ आवें। इस दृष्टिसे भी फिलहाल देवदासका यहाँ रहना ठीक होगा। जाना हुआ तो जुलाई महीनेके प्रारम्भमें निकलना होगा। मुझे अभी कोई जवाब नहीं मिला है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ २८६१) की फोटो-नकलसे।

४३७. पत्र: नगीनदासको

साबरमती आश्रम
रविवार, २५ अप्रैल, १९२६

भाईश्री नगीनदास,

इसके साथके पोस्ट कार्डको पढ़ना और जो लिखा हो सो मुझे बताना। 'नवजीवन' में प्रकाशित विज्ञप्तिके अनुसार यदि इस व्यक्तिने पुस्तकें मँगाई थीं तो मुझे लगता है कि तुम्हें भेज देनी चाहिए थीं।...रुपये देकर पुस्तकें मँगवानेवाले आजतक कितने हुए हैं, यह भी बताना। गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९५०६) की माइक्रोफिल्मसे।

४३८. पत्र: गुलाबदास लालजीको[१]

आश्रम
२५ अप्रैल, १९२६

भाईश्री गुलाबदास,

१. जिनका आपने उल्लेख किया है उनमें से किसी भी विषयका[२] घर बैठे अध्ययन करनेमें कोई अड़चन नहीं है।

२. इस धन्धेसे हमारी कोमल भावनाएँ कठोर न हो जायें—यह बात तो व्यक्तिपर निर्भर करती है।

खेती आदि शारीरिक श्रमके धन्धेसे मैं उपर्युक्त धन्धेको[३] अवश्य कम समझता हूँ।

  1. गुलाबदास लालजीने दो भागोंमें प्रश्न किये थे। यह पत्र उनके उत्तरमें लिखा गया था।
  2. इंजीनीयरिंग, चिकित्सा और होमियोपैथी।
  3. इंजीनीयरिंग, चिकित्सा और होमियोपैथी।