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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  अगर हिन्दी साहित्य सम्मेलनवाले अपनी ओरसे कोई और नाम देना चाहें तो इनमें एक और भी व्यक्तिको शामिल कर लिया जाये। आशा है, आपको अपना नाम ट्रस्टियोंमें शामिल किये जानेपर कोई एतराज नहीं होगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४९०) की फोटी-नकलसे।

४०९. पत्र: हिन्दी साहित्य-सम्मेलनके प्रधान मन्त्रीको

साबरमती
२३ अप्रैल, १९२६

महोदय,

आपका तार मुझे मिला था। मैंने उत्तर भी भेज दिया था। और मैं आशा रखता था कि सम्मेलनकी तरफसे कोई भी यहाँ आ जाएँगे। पं॰ हरिहर शर्मा दो-तीन रोजसे यहाँ हैं। उनके साथ बातें करनेके बाद मेरा अभिप्राय यह हुआ है कि दक्षिण प्रान्तके हिन्दी प्रचारके लिए एक ट्रस्ट बना देना और उनके हस्तक सब तंत्र संपूर्ण स्वतंत्रताके साथ रखना। ऐसा करनेसे आजकी अनिश्चित स्थिति मिट जाएगी और प्रचारकोंको प्रोत्साहन मिलेगा। इस दृष्टिसे मैंने एक खत लिखा है[१] जिसकी नकल मैं इसके साथ रखता हूँ। इस बारेमें आपका अभिप्राय चाहता हूँ। यदि मेरे साथ कुछ बात करनेकी आवश्यकता हो तो आप आ जाइए, या किसीको भेज दीजिए। मेरा मसूरी जाना मौकूफ रहा है।

आपका,

प्रधान मन्त्री


हिन्दी साहित्य सम्मेलन


प्रयाग

मूल प्रति (एस॰ एन॰ १९४९२) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. देखिए पिछला शीर्षक।