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४०१. टिप्पणियाँ

जलियाँवाला बाग

कराचीके एक पत्र-लेखकने लिखा है:

आपने कई साल पहले जलियाँवाला बाग स्मारकके लिए लाखों रुपये इकट्ठे किये थे। मुझे बताया गया था कि वहाँ एक स्कूल बनाया जायेगा। क्या अब आप मुझे बतायेंगे कि उस स्मारक कोषका क्या किया गया? वह स्थान खरीदा भी गया या नहीं? वहाँ स्वतन्त्रताका मन्दिर कब बनाया जायेगा?

इन प्रश्नोंसे ऐसा अज्ञान झलकता है, जिसकी मुझे कोई आशा नहीं थी। लेखकको मालूम होना चाहिए था कि १३ अप्रैल, १९१९ को जिस स्थानपर हत्याकाण्ड हुआ था, वह पर्याप्त पैसा इकट्ठा होते ही तत्काल खरीद लिया गया था। उस स्थानसे कूड़ा-करकट हटवा दिया गया है और उसे समतल करवा दिया गया है। और वहाँ अब एक सुन्दर लॉन देखा जा सकता है। उसकी देखभालके लिए व्यक्ति नियुक्त कर दिया गया है। शेष पैसा अच्छी साखवाले बैंकोंमें जमा है और उसमें हर साल ब्याज जुड़ता रहता है। वहाँ कोई इमारत नहीं बनाई जा सकी है। इसका सीधा-सादा कारण यह है कि जब हम हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरेके गले काटनेका प्रयत्न कर रहे हैं और स्वतन्त्रताकी जड़ें ही खोद रहे हैं तब वहाँ ईंट और गारेसे स्वतन्त्रताका मन्दिर नहीं बनाया जा सकता। जब यह स्मारक बनाया जाये तो इसे वास्तवमें भारतकी समस्त जातियों और समस्त धर्मोकी एकताका स्मारक होना चाहिए। जब ऐसा स्मारक बनेगा, तब वह इस बातका द्योतक होगा कि भारतके लोग तमाम विघ्न-बाधाओंके बावजूद स्वतन्त्रता और सम्मान प्राप्त करनेको कटिबद्ध हैं। अगर इस समय कोई इमारत बनानेका प्रयत्न किया गया तो मैं जानता हूँ कि वह प्रयत्न हम सबको दृढ़ताके एक सूत्रमें बाँधनेके बजाय झगड़ेका एक कारण बन जायेगा।

फरवरीके आँकड़े

विभिन्न प्रान्तोंमें खादीके उत्पादन और बिक्रीके फरवरी महीनेके आँकड़े इस प्रकार हैं:[१]

आन्ध्रके आंकड़े हमेशाकी तरह अपूर्ण हैं, क्योंकि सिर्फ १६ भण्डारोंने ही प्रान्तीय कार्यालयको अपनी रिपोर्ट भेजी हैं। बंगालके आँकड़े सिर्फ खादी प्रतिष्ठानके ही आँकड़े हैं; अभय आश्रमके आँकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं। सैंडहर्स्ट रोड भण्डारके आँकड़ोंके सिवा बम्बईके आँकड़े पूर्ण हैं। दिल्लीके आँकड़ोंमें केवल हापुड़के आँकड़े ही दिये गये हैं। पंजाब और तमिलनाडके आँकड़े पूर्ण हैं और उनके बिक्रीके

  1. ये आँकड़े यहाँ नहीं दिये जा रहे हैं।