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३९७. पत्र: बी॰ सुब्बारावको

साबरमती आश्रम
२१ अप्रैल, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। क्या आप निम्नलिखित प्रश्नोंके उत्तर देंगे? क्या आप विवाहित हैं? अगर विवाहित हैं तो क्या आपके बच्चे हैं? क्या आप यहाँ अकेले रहना चाहते हैं? क्या आप शारीरिक श्रम कर सकते हैं? क्या आपका स्वास्थ्य अच्छा है? आपके पास चिकित्सा-शास्त्रकी जो उपाधि है, वह तो है ही; लेकिन क्या आप अपनेको हर तरहसे बहुत अच्छा चिकित्सक मानते हैं? आपने अपनेको नेत्र-रोगोंका शल्य चिकित्सक (ऑपथैलमिक सर्जन) बताया है। क्या इस विषयमें आपने कोई विशेष योग्यता हासिल की है?

हृदयसे आपका,

श्रीयुत बी॰ सुब्बाराव


ऑपथैलमिक सर्जन
८६, पिल्लेयर कोइल स्ट्रीट,


ट्रिप्लिकेन, मद्रास

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४८५) की माइक्रोफिल्मसे।

३९८. सूत इकट्ठा करनेवालोंको चेतावनी

अखिल भारतीय चरखा संघको चन्देके रूपमें जो सूत मिलता है, उसमें से अधिकांश सूत उसी जगहके स्वयंसेवक इकट्ठा करते हैं। उससे बहुत-सा समय, शक्ति और पैसा बच जाता है। परन्तु सूत इकट्ठा करनेवाले इन स्वयंसेवकोंको खुद भी अच्छा कातनेवाला होना चाहिए। उन्हें अच्छे और बुरे सूतकी पहचान होनी चाहिए और अलग-अलग अंकोंके सूतको भी उन्हें पहचानना चाहिए। कारण, यदि ये सूत इकट्ठा करनेवाले स्वयंसेवक सूतकी परीक्षा करना जानते हों और सदस्योंसे चन्देके तौरपर सूत लेनेसे पहले उसकी परीक्षा कर लें तो सूतका मूल्य तत्काल बढ़ाया जा सकता है। उन्हें ऐसा सूत ही स्वीकार करना चाहिए जो एकसार कता हुआ हो और चार फुट लम्बी लच्छियोंमें बँधा हुआ हो। इन छोटी-छोटी बातोंपर जितना अधिक ध्यान दिया जायेगा, सस्ती और मजबूत खादी तैयार करनेकी उतनी ही अधिक सम्भावना होगी। कातनेवालोंको यह याद रखना चाहिए कि वे जितना अच्छा कातेंगे तो संघको उनके द्वारा उतना ही अधिक चन्दा दिया गया माना जायेगा। सूतके रूपमें चन्दा