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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मयं

जानेके खिलाफ निकला। अतएव, अगर मैं संकटमें ही न पड़ जाऊँ तो यह यात्रा अन्तिम रूपसे रद कर दी गई है। वैसे अगर ऐसा संकट आ जाये तब भी मेरा यही विचार रहेगा कि मुझे साबरमतीमें रहकर ही अपना स्वास्थ्य सुधारना है या अगर ईश्वरकी इच्छा कुछ और हो तो यहीं दम तोड़ देना है।

आपका,

श्रीयुत सतीशचन्द्र दासगुप्त
कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४७९) की फोटो-नकलसे।

३९१. पत्र : एस॰ वी॰ फडनीसको

साबरमती आश्रम
२० अप्रैल, १९२६

प्रिय मित्र,

आपके पत्रके बारेमें मुझसे जो कुछ भी बन पड़ेगा करूँगा। यद्यपि मैं किसी अखबारी विवादमें नहीं पड़ना चाहता, फिर भी इतना जरूर कहूँगा कि यह आरोप मुझे कतई स्वीकार नहीं कि मैंने समझौतेके मार्गमें बाधा डाली है। खादीके सम्बन्धमें मेरा निजी विचार तो यह है कि खादी-सम्बन्धी शर्तको किसी भी कारणसे हटाना नहीं चाहिए, लेकिन इस विषयमें भी तो मुझे एक ही मत देनेका अधिकार है।

हृदयसे आपका

श्रीयुत एस॰ वी॰ फडनीस


४२३ वालकेश्वर रोड


बम्बई-६

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४८०) की माइक्रोफिल्मसे।