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३८८. पत्र: हेनरी लॉरेंसको[१]

साबरमती आश्रम
अहमदाबाद
२० अप्रैल, १९२६

प्रिय सर हेनरी लॉरेंस,

इसी महीनेकी १६ तारीखके पत्रके लिए मैं आपका बड़ा आभारी हूँ। अगर हमारो वार्ताके बारेमें कोई जल्दी न हो तो यह मौसम खत्म होनेपर जब आप सामान्य रूपसे पूना या बम्बईमें रहने लगे तभी मैं आपसे मिल लूँ। लेकिन, किसी भी हालत में मैं आपको खासकर मुझसे मिलनेके लिए पूना आनेका कष्ट देनेकी नहीं सोच सकता। इसलिए, अगर आपको ऐसा लगे कि हमें जल्दी ही मिलना चाहिए तो मैं यहाँसे ६ मईको चल दूँ और रेलगाड़ी तथा मोटरसे जितनी जल्दी वहाँ पहुँच सकता हूँ, पहुँच जाऊँ। मैं कभी महाबलेश्वर नहीं गया हूँ, इसलिए मुझे समय-सारिणीकी जानकारी नहीं है।

यह कहने की जरूरत नहीं कि कृषि-सम्बन्धी शाही आयोगसे मेरा कोई सरोकार नहीं हो सकता। इस शासन-प्रणालीके सम्बन्धमें तो मेरे विचार उग्र हैं ही, इसके अतिरिक्त आयोग वगैरहमें मेरा विश्वास कब-का उठ चुका है।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]

लॉर्ड हैलीफेक्सके कागजातके निजी तौरपर छपवाये संग्रहकी फोटो- नकलसे। सौजन्य: इंडिया ऑफिस रेकार्ड प्रिय रामस्वामी,

३८९. पत्र: डी॰ वी॰ रामस्वामीको

साबरमती आश्रम
२० अप्रैल, १९२६

प्रिय रामस्वामी,

हनुमन्तरावके जीवन-वृत्तान्तपर आपके तैयार किये गये नोट्स मुझे मिल गये हैं। वे काफी रोचक हैं, लेकिन उन्हें प्रकाशित नहीं करना चाहिए और जिस कृतिमें भारत सेवक समाज (सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) की आलोचना हो या उसपर

  1. बम्बईके गवर्नर सर हेनरी लॉरेंसने यह पत्र लॉर्ड इर्विनके नाम लिखे अपने २२-४-१९२६ के पत्रके साथ भेजा था।