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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  सिद्ध कर सकेगा। इसमें पूरी सफलता तो मनुष्यको तभी मिल सकती है जब वह मोक्ष पा जाये और देहके सारे बन्धनोंसे मुक्त हो जाये।

सिद्धान्त और प्रतिज्ञा[१]

'हिन्द स्वराज्य' में मैंने जो विचार प्रगट किये हैं उन्हें मैं पूरी तरह व्यवहारमें न ला सकता होऊँ तो भी मुझे ऐसा नहीं लगता कि इन विचारोंको सही कहना गलत है। आपने जो कहावत उद्धृत की है वह मुझे लागू नहीं होती, क्योंकि मैं अपनेको माफ करता ही नहीं, बल्कि अपना अपराध पूरी तरह स्वीकार करता हूँ।

निश्चय करने और व्रत लेनेमें जहाँ भेद माना जाये वहाँ मूल्य व्रत लेनेका ही है। जिस निश्चयको भंग किया जा सकता हो, वह निश्चय निश्चय ही नहीं माना जा सकता, उसका कोई मूल्य नहीं हो सकता।

एकाग्रता[२]

चित्तकी एकाग्रता अभ्याससे सधती है। शुभ और इष्ट विषयमें अपने मनको लीन करके एकाग्रताका अभ्यास किया जा सकता है। उदाहरणके लिए, कोई निष्ठापूर्वक बीमारोंकी सेवा करके एकाग्रता सिद्ध कर सकता है तो कोई अन्त्यजोंकी सेवा करके और दूसरा कोई अपने मनको चरखा चलानेमें या खादीका प्रचार करनेमें लगाकर अथवा श्रद्धापूर्वक रामनामका जप करनेसे एकाग्रता प्राप्त कर सकता है।

सुधारने का ठेका[३]

आपने तो मुझे हटा दिया। मैंने तो एक ही आदमीको सुधारनेका ठेका लिया है——स्वयंको ही। और उसीका सुधार करनेमें मुझे कितनी कठिनाई उठानी पड़ रही है, यह तो मैं ही जानता हूँ। क्या अब भी आपको अपने सवालका जवाब चाहिए?

[गुजराती से]
नवजीवन, १८-४-१९२६
  1. एक पत्र लेखकने गांधीजीसे पूछा था कि चूँकि रेलगाड़ी, दूध, दवा आदिके उपयोगके सम्बन्धमें अपने हिन्द स्वराज्यमें बताये सिद्धान्तोंका पालन करनेमें वे खुद असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें अब भी उन सिद्धान्तों पर आग्रह क्यों रखना चाहिए। उसने यह भी पूछा था कि कोई काम करनेका निश्चय-भर कर लेना क्या पर्याप्त नहीं है? क्या उसके लिए प्रतिक्षा करना जरूरी है?
  2. एक पत्र लेखकने चित्तकी एकाग्रता प्राप्त करनेके उपाय सुझानेका अनुरोध किया था।
  3. एक मुसलमानने यह दलील दी थी कि चूँकि गांधीजीने कहींपर ऐसा कहा है कि मनुष्यकी आत्मा किसी पशुके गर्भमें भी जा सकती है, इसलिए गायकी पूजा करनेका मतलब क्या पापोंकी पूजा करना नहीं हो सकता, क्योंकि किसी पापीकी आत्मा भी तो गायके गर्भमें पहुँच सकती है। उसने गांधीजी पर व्यंग्य करते हुए लिखा था कि चूँकि आपने दुनियाको सुधारनेका ठेका ले रखा है, इसलिए आप इसका उत्तर दें।