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विविध प्रश्न [—४]

  समय यह नाम ले तो उसे मुक्ति मिल ही जाये। जिसके हृदयम नारायणका वास है और इसलिए जो मनुष्य उस मंत्रको रटता है उसे मोक्ष मिलेगा ही।

विवाहितोंका धर्म[१]

जो दम्पती, जैसा आपने लिखा है, उस हदतक विषयासक्त हों, वे स्त्री-पुरुषके धर्मका पालन नहीं करते। मुझे यह कहनेमें जरा भी संकोच नहीं कि वे पशुसे भी बदतर हैं। बारह-तेरह वर्षकी बालिका स्त्री-धर्मका पालन करनेमें असमर्थ है। उससे विषय-वासनापूर्ण व्यवहार करनेवाला घोर पाप करता है।

रजस्वला स्त्रीके बारेमें आपने जो लिखा है इसका तो मुझे पता ही नहीं था। चार दिन बीत जानेपर पुरुषको उसके साथ रहना ही चाहिए, ऐसे धर्मको मैं स्वीकार नहीं कर सकता। जबतक स्राव जारी रहे तबतक पति द्वारा उसे छूना भी मैं त्याज्य मानता हूँ। स्रावं बन्द हो जानेके बाद यदि दोनों सन्तानोत्पत्तिकी इच्छा हो और वे मिलें तो इसमें मैं कोई दोष नहीं मानता।

रजस्वला और प्रसूता

ऋतुमती होना स्त्रियोंकी मासिक व्याधि है। ऐसे समय रोगीको शान्तिकी बड़ी आवश्यकता होती है। और कामी पुरुषका संग उसके लिए भयंकर बात है।

प्रसूता सम्बन्धमें भी यही कारण लागू होता है और उसे कमसे-कम २० दिनका आराम दिया जाता है। मैं इसे बहुत उपयुक्त प्रथा मानता हूँ। सगी-सम्बन्धी स्त्रियोंमें से भी किसीका भी उसे न छू सकना तो ज्यादती है।

एक शिक्षकके प्रश्न[२]

१. विद्यार्थियोंमें तन्मय होकर ही उत्तम शिक्षा दी जा सकती है। इसके लिए जो विषय पढ़ाना हो शिक्षकको उसकी पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए।

२. यदि 'गीता' और 'रामायण'का विचारपूर्वक अध्ययन किया जाये तो उनसे सब-कुछ प्राप्त हो सकेगा।

३. खुराकमें खासकर गेहूँ, दूध, और हरी सब्जियाँ काफी होंगी। तेल और मसाले छोड़ देना आवश्यक है।

४. यदि शामको बहुत भूख लगती है तो थोड़ा-सा दूध पीना चाहिए और यदि दूध कुछ भारी लगे तो सन्तरा या अंगूर अथवा ऐसा ही कोई रसदार फल खाना चाहिए। सुबह-शाम खुली हवामें उत्साहपूर्वक यथाशक्ति घूमना चाहिए।

  1. पत्र-लेखकने विवाहित स्त्री-पुरुषोंके असंयमका उल्लेख करते हुए लिखा था कि कुछ लोग उसे अपना अधिकार मानते हैं और कुछ लोग कर्त्तव्य। उसने गांधीजीसे इस भ्रमको दूर करनेका अनुरोध किया था।
  2. प्रश्न संक्षेपमें इस प्रकार थे: १. उत्तम शिक्षा किस प्रकार दी जाये? २. परम श्रेय प्राप्त करनेके लिए क्या पढ़ना चाहिए? ३. सबसे अच्छी खुराक क्या है? ४. चाय पीनेसे सरदर्द होता था, इससे चाय छोड़ दी और एक बार भोजन करने लगा। शामको भूख लगती है, किन्तु सवेरे पेट भरा मालूम होता है; ऐसा क्यों होता है? ५. चित्तको एकाग्र करनेके मार्ग कौनसे हैं? ६. जब आपको ही आन्तरिक सन्देश प्राप्त नहीं हुआ तो फिर मुझ-जैसेको वह कैसे मिल सकता है? ७. परमात्माके दर्शन करनेका उपाय क्या है? ८. क्या काम-काज करनेसे शान्ति मिल सकती है?