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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

किसे उत्तर दें?

एक सज्जन लिखते हैं:[१]

इश्तिहार पढ़ा। निःसन्देह वह बहुत गन्दा है। लेकिन मेरी रायमें इसपर कोई ध्यान नहीं देना चाहिए। ऐसी बातोंका उत्तर देनेसे उन्हें कुछ-न-कुछ महत्त्व मिल जाता है। और कुछ लोग तो प्रकाशमें आनेके लिए ही ऐसी बातें लिखते हैं। प्रसंगवश यदि कोई बात स्पष्ट करने लायक लगी तो मैं स्पष्ट कर दूँगा।

एक वकीलको[२]

आपका पत्र मिला।

आपको बहुत-से उपचार सुझाये जा सकते हैं, बशर्ते कि आप यह भूल जायें कि आपने वकालत पास कर ली है। किन्तु क्या आपसे मजदूरी करनेको भी कहा जा सकता है? आप खुद कातें, दूसरोंसे कतवायें, पींजें और दूसरोंसे पिजवायें; क्या ऐसे कामोंमें आपको रस मिलेगा? जैसे मजदूरोंको मजदूरी करके सन्तोष होता है, क्या आपको भी वैसे ही सन्तोष मिल सकेगा? मेरे द्वारा सुझाये गये सभी उपाय जितने सहज हैं उतने ही कठिन भी हैं। यदि आप मजदूरका-सा जीवन बिताने को तैयार हों तो मुझे लिखें।

एक रोगीको[३]

आपसे मिले बिना सलाह देना मुश्किल है। किन्तु आपको निम्नलिखित सुझाव अवश्य दिये जा सकते हैं, उनमें से बहुत से सुझावोंपर आप अमल कर सकेंगे।

जहाँतक हो सके खुली हवामें अधिकाधिक रहने और सोनेका प्रयत्न करें। बहुत ही हल्का खाना खायें और सो भी भरपेट नहीं, बल्कि इतना जिससे शरीर चलता-भर रहे। तमाम मसाले खाना छोड़ दें। यदि किसी प्रकारकी दाल खाना जरूरी ही हो तो बहुत थोड़ी मात्राम खायें। चरबीवाली, तली हुई तथा भारी चीजें खाना बिलकुल छोड़ दें। रोजाना सुबह-शाम थोड़ी-थोड़ी हलकी कसरत करें।

केवल सत्संग करें। सत्संग अर्थात् सज्जनों और अच्छी पुस्तकोंका संग। अच्छी पुस्तकें अर्थात् नीतिपरक पवित्र पुस्तकें।

यदि आपका शरीर बहुत कमजोर न हो गया हो तो रोजाना ठंडे पानीसे स्नान करें।

जाग्रतावस्थामें अपने मन और शरीरको पूरी तरहसे सद्प्रवृत्तियोंमें लगाये रखें।

  1. पत्र लेखकने एक इश्तिहार भेजा था, जिसमें गांधीजीके वक्तव्योंको तोड़-मरोड़कर छापा गया था। पत्र लेखकने लिखा था कि यदि आप इसका उत्तर नहीं देंगे तो अन्य पक्षको बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा।
  2. एक वकालत पास आदमी बीमार पड़ गया और काम-धन्धा न कर पानेके कारण अपनेको असहाय मानने लगा। ऐसी स्थितिमें उसने गांधीजीसे पथ-प्रदर्शन करनेका अनुरोध किया था।
  3. एक विद्यार्थी बुरी आदतोंके फेरमें पड़कर अपना स्वास्थ्य चौपट कर बैठा था। इस बारेमें उसने गांधीजीकी सलाह माँगी थी।