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३७८. विविध प्रश्न [—१][१]

क्या प्रतिज्ञा भंग की जा सकती है?

एक भाई लिखते हैं:[२]

प्रतिज्ञा हमेशा किसी सत्कार्यके लिए ही की जाती है। कुकर्म करनेकी प्रतिज्ञा तो की ही नहीं जा सकती। यदि अज्ञानवश कोई ऐसी प्रतिज्ञा कर ले तो उसे भंग करना उसका कर्त्तव्य हो जाता है। उदाहरणके तौरपर यदि कोई व्यक्ति व्यभिचार करनेकी प्रतिज्ञा ले ले तो ऐसी प्रतिज्ञाको तोड़ देनेमें ही उस व्यक्तिकी सजगता और शुद्धि छिपी हुई है। ऐसी प्रतिज्ञाका पालन करना पाप है।

पुनर्विवाह करना चाहिए या देशसेवा?[३]

कुछ दर्द ऐसे होते हैं जिनकी दवा समय ही सुझा सकता है। किन्तु इस बीच हमें शान्ति रखनी चाहिए। यदि आपका निश्चय अटल है और जब कि अबतक आपने कोई कार्यक्षेत्र नहीं चुना है तथा आजीविकाका कोई प्रबन्ध नहीं किया है तबतक विवाह न करनेका ही निश्चय कर लिया हो तो अपने बड़े-बूढ़ोंको विनय और दृढ़तापूर्वक अपना निश्चय कह सुनाइए। वे सुनकर खुश होंगे। किन्तु यदि आपका मन इस हदतक स्थिर न हुआ हो और भीतर मनकी गहराईमें विवाहकी इच्छा हो तो अपने बड़े-बूढ़ोंकी बात मानना ही अच्छा होगा। धनी कुटुम्बके किसी विधुरके लिए पुनर्विवाहसे बचना निःसन्देह बहुत कठिन काम है। इससे तो वही मनुष्य बच सकता है जो पुनर्विवाहको सिरपर वार झेलनेके समान मानता हो।

इसलिए मेरी सलाह तो यह है कि इसपर एकान्तमें बैठकर शान्त चित्तसे विचार करना चाहिए और मन जो कहे तदनुसार चलना चाहिए। मैं तो केवल मार्ग सुझा सकता हूँ। किन्तु, निश्चय करते समय मेरी या किसी दूसरेकी सलाहका विचार न करके आपका दिल जो कहे वहीं निर्भय होकर करना चाहिए।

क्या नाक-कान छिदवाने चाहिए?

बालिकाओंके अंगोंको छिदवाना मुझे तो जंगलीपन लगता है।

  1. यह प्रश्नोत्तरमाला नवजीवनके २१ तथा २८ मार्च और ४, ११ तथा १८ अप्रैल, १९२६ के पाँच अंकोंमें प्रकाशित हुई थी। इसपर एक परिचयात्मक टिप्पणी देते हुए महादेव देसाई लिखते हैं: "ये प्रश्न गांधीजीकी प्राप्त पत्रोंसे लिये गये हैं। प्रश्नोंका सार मैंने अपनी भाषामें दिया है जब कि उत्तर गांधीजीके शब्दों में ही हैं।"
  2. यदि कोई व्यक्ति मानसिक दुर्बलताके क्षणोंमें आवेशमें आकर कोई प्रतिज्ञा ले ले या फिर कुछ दिनों तक उस प्रतिज्ञाका पालन करनेके बाद यह मानने लगे कि उक्त प्रतिज्ञा लेकर उसने भूल की है। तो क्या उस प्रतिज्ञाको भंग किया जा सकता है।
  3. पत्र-लेखकने अपने मनकी उलझनको गांधीजीके सामने रखते हुए लिखा कि कुटुम्बीजनोंका आग्रह मानकर क्या मुझे पुनर्विवाह कर लेना चाहिए अथवा देशसेवामें लग जाना चाहिए।