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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सूत कातनेवाले कुछ स्त्री-पुरुष तैयार न हुए होते तो सूतकी किस्ममें जो प्रगति हुई है, वह असम्भव थी।

(५) यदि आप सूत कातेंगे तो आपकी बुद्धिका उपयोग चरखेमें सुधार करनेमें हो सकेगा। यह बात भी अनुभवसे सिद्ध हुई है। अबतक चरखेमें जो सुधार हुआ है और उसकी गतिमें जो वृद्धि हुई है वह केवल यज्ञार्थ कातनेवाले याज्ञिकोंकी शक्तिके कारण ही हुई है।

(६) भारतकी प्राचीन कलाका लोप होता जा रहा है। सूत कातनेकी कलाके पुनरुद्धारपर ही बहुतांशमें उस कलाका पुनरुद्धार निर्भर है। सूत कातनेमें कितनी कला है यह तो यज्ञार्थ सूत कातनेवाला ही जान सकता है। सत्याग्रह सप्ताहमें सूत कातनेवाले कातते-कातते थकते ही नहीं थे। चरखेके प्रति उनका प्रेम उनके न थकनेका एक कारण अवश्य था। परन्तु यदि सूत कातनेमें कोई कला न होती, सूत कातते समय जो ध्वनि होती है उसमें कोई संगीत न होता तो कुछ युवकोंका २२/२ घंटेतक स्थिर होकर आह्लादपूर्वक सूत कात सकना असम्भव होता। यहाँ हमें इस बातका स्मरण रखना चाहिए कि इन कातनेवालोंके सम्मुख किसी प्रकारका लालच न था। उनका सूत कातना एक शुद्ध यज्ञ था।

(७) हमारे देशमें शरीर-श्रमका काम छोटा गिना जाता है। कवियोंने तो यहाँतक निर्णय कर दिया है कि सुखी मनुष्यको तो इतना आराम होता है कि उसे कभी चलनातक नहीं पड़ता और उसके पैरोंके तलुवेमें भी बाल उग आते हैं। इस प्रकार जो उत्तमसे-उत्तम कर्म है और जिस कर्मके साथ प्रजापतिने प्राणि-मात्रको उत्पन्न किया है, हम उस कर्मको शिष्टाचारके रूपमें प्रतिष्ठित करना चाहते हैं। जिसे दूसरा कोई काम नहीं मिलता वहीं पेटके लिए सूत कातता है, ऐसा गलत खयाल न फैल जाये इसके लिए भी आपको सूत कातना चाहिए। आप राजा हो या रंक, आपको यज्ञार्थं अवश्य कातना चाहिए।

किशोर समाजसे

तुम चाहे बालक हो या बालिका, ऊपर बताये गये ये सब कारण तुमपर भी लागू होते हैं। परन्तु तुम्हारे लिए सूत कातनेके दूसरे भी कुछ विशेष कारण हैं। मैं उनकी ओर तुम्हारा ध्यान खींचना चाहता हूँ।

(१) यदि तुम बचपनसे ही गरीबोंके लिए शरीर-श्रम करो तो कैसा अच्छा हो, क्योंकि सूत कातनेकी क्रियासे तुम्हारे मनमें बचपनसे ही परोपकार-बुद्धि पुष्ट होगी।

(२) तुम नित्य नियमित समयपर सूत कातते रहोगे तो उससे तुम्हें अपने जीवनमें नियमपूर्वक कार्य करनेकी आदत पड़ जायेगी, क्योंकि यदि तुमने सूत कातनेके लिए समय निश्चित किया होगा तो तुम और कामोंके लिए भी समय निश्चित करोगे। जो प्रत्येक कार्यके लिए समय निश्चित करते हैं वे अनियमित काम करनेवालोंकी बनिस्बत दूना काम करते हैं, यह सभीका अनुभव है।

(३) तुममें सफाईकी आदतें बढ़ेंगी, क्योंकि सफाईके बिना सूत काता ही नहीं जा सकता। तुम्हारी पूनियाँ साफ होनी चाहिए, तुम्हारे हाथ साफ होने चाहिए, उनमें