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पत्र: के॰ वेंकटेशनको

आँकड़ोंमें खादी प्रतिष्ठान और अभय आश्रमके आँकड़े दिये गये हैं। तमिलनाडके आँकड़े पूरे हैं और बिक्रीके आँकड़ोंको इस दृष्टिसे सुधार लिया गया है, जिससे विभिन्न शाखा भण्डारों आदिके बीच आपसमें की गई बिक्रीका हिसाब इन आँकड़ोंमें शामिल न हो पाये। संयुक्त प्रान्तके आँकड़ोंमें सिर्फ गांधी आश्रम, बनारस और कानपुर भण्डारके आँकड़े ही आते हैं। इलाहाबाद भण्डारके आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन वहाँ प्रतिमास औसतन ७०० रुपयेकी बिक्री होती है। दिल्लीमें सिर्फ हापुड़के श्रीयुत चिरंजीलाल प्यारेलालके आँकड़े उपलब्ध हैं और स्वराज्य भण्डार तथा श्रीयुत विश्वम्भर दयालके खादी भण्डारके आँकड़े अभीतक नहीं मिल पाये हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १५-४-१९२६

३५३. पत्र: के॰ वेंकटेशनको

साबरमती आश्रम
१५ अप्रैल, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। खेदके साथ कहना पड़ता है कि आपको 'यंग इंडिया' निःशुल्क भेज सकना सम्भव नहीं है। लेकिन, अगर आप आधा चन्दा अर्थात् २/२ रुपये भेज देंगे तो मैं व्यवस्थापकसे आपकी सोसाइटीको उसकी प्रति भेजनेको कहूँगा। नवजीवन प्रेससे मेरी कोई भी पुस्तक अंग्रेजीमें प्रकाशित नहीं हुई है। सबका प्रकाशन अलग-अलग प्रकाशकोंने किया है। इसलिए आप मुफ्त या रियायती दरोंपर पुस्तकें भेजनेके लिए उन्हींको लिखें।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के॰ वेंकटेशन


अवैतनिक मंत्री
आन्ध्र ड्रैमेटिक एण्ड लिटरेरी सोसाइटी
क्वार्टर नं० ९, एम॰ रोड
डाकघर——जमशेदपुर


(बरास्ता) टाटानगर, बी॰ एन॰ रेलवे।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४५७) की माइक्रोफिल्मसे।