पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/३४१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३४७. पत्र: आदमसालेह अली पटेलको

आश्रम
१४ अप्रैल, १९२६

भाई आदमसालेह अली भाई,

आपने तो मुझे हरा दिया। मैंने तो एक ही व्यक्तिको सुधारनेका ठेका लिया है और वह मैं स्वयं हूँ और उसे सुधारनेमें भी कितनी मुश्किल होती है, यह तो मेरा मन ही जानता है। अब तो आपके प्रश्नोंका उत्तर देनेकी जरूरत नहीं रही न?

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्

श्री आ॰ अ॰ पटेल


पानोली


जिला: भड़ौच

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ १९९०१) की माइक्रोफिल्मसे।

३४८. पत्र: कायम अली मु॰ सलेमवालाको

आश्रम
१४ अप्रैल, १९२६

भाईश्री ५ कायम अली,

आपका पत्र मिला। जलियाँवाला बागके लिए जो पैसे इकट्ठे किये गये थे उनमें से यह बाग खरीदा गया है, जमीन साफ की गई है और उसपर बगीचा लगाया है। स्मारक मन्दिर नहीं बनवाया क्योंकि आजकल हिन्दुस्तानके ग्रह उलटे हैं।

इस समय तो हम स्वतन्त्रताकी नींवको उखाड़नेमें लगे हुए हैं; ऐसी हालतमें उसके भव्य मन्दिरको कैसे खड़ा किया जा सकता है? मेरा खयाल है कि निधिके न्यासी कोई भी मन्दिर बनानेमें इसी कारण संकोच कर रहे हैं।

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्,

श्री कायम अली मुम्मद अली सलेमवाला


मार्फत-मुहम्मद अली एण्ड सन्स
सॉमरसेट स्ट्रीट, कैम्प


कराची

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ १९९०२) को माइक्रोफिल्मसे।

३०-२०