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३४४. पत्र: रामदास गांधीको

साबरमती आश्रम
बुधवार, १४ अप्रैल, १९२६

चि॰ रामदास,

पिछले पोस्टकार्डके बाद फिर तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। सप्ताह पूरा हुआ, अतः कुछ फुर्सत मिली है ऐसा कहा जा सकता है। हालाँकि सप्ताह पूरा होते ही मैं तो समितियोंकी सभाओंमें व्यस्त हो गया हूँ। परिषद्की बैठक कल तो थी ही, आज भी हुई। अब विद्यापीठको समितिकी बैठक है।

आज देवदास आ गया है। इसको बहुत जोरका पीलिया हुआ था। शरीर बहुत दुर्बल हो गया है। चेहरा देखा नहीं जाता। लेकिन अब पीलिया उतारपर है। पेट साफ हो गया। इसलिए थोड़े अर्सेमें ठीक हो जायेगा। प्यारेलालको देवलाली भेजा है। देवदासको मसूरी ले जानेका इरादा है। वहाँ इस सप्ताहमें क्या हो सका है, यह जानने के लिए उत्सुक हूँ। यहाँ तो काफी अच्छा काम हुआ है। कान्ति, केशू, कृष्णदास, अन्त्यज विद्यार्थी केशवलाल, सोमाभाई, जयसिंह आदिने दस-दस घंटे तक और इनमें से कुछ लोगोंने २२ घंटेतक काता है——अर्थात् वे मुश्किलसे एक घंटे के लिए सोये। केशूने साढ़े २२ घंटोंमें ९११९ तार काते, यानी १२०२४ गज। यह रफ्तार बहुत अच्छी कही जा सकती है। केशूके सूतका अंक १७ था। बाने भी खूब काता। मनुने एक दिन हजारसे भी ऊपर काता।

उम्मीद है, तुम्हारी तबीयत अच्छी होगी। देवचन्दभाई आदि बहुत करके आज जायेंगे।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९४५४) की माइक्रोफिल्मसे।