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सन्देश: जलियाँवाला बागके सम्बन्धमें

  कि भारतमें ऐसे करोड़ों गरीब लोग हैं, जिनके पास सालमें कमसे-कम चार महीने कोई काम नहीं होता। भारतके उस भागमें जहाँ आप रहते हैं यदि ऐसे लोग न हों तो आपको खादी उत्पादनके लिए परेशान होनेकी जरूरत नहीं। इस हालतमें आपको उन जिलोंमें तैयार की गई खादीको बेचना-भर है, जो उतने खुशहाल नहीं है।

आप सतीश बाबूसे मिलकर सलाह-मशविरा करें। उनसे सभी बातोंपर बातचीत करें और उनकी रायके मुताबिक चलें।

आपका,

श्रीयुत बगला प्रसन्न गुहाराय


मंत्री, जातीय शिक्षामठ, लक्ष्मीपुर, उपासी डाकघर


फरीदपुर (बंगाल)

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४४९) को माइक्रोफिल्म से।

३३१. सन्देश: जलियाँवाला बागके सम्बन्धमें[१]

साबरमती आश्रम
११ अप्रैल, १९२६

आपके सचिवने १३ तारीखके लिए जलियाँवाला बागके सम्बन्धमें सन्देश माँगा है। सन्देश यह है:

१३ अप्रैल, १९१९ को जलियाँवाला बागमें जो नृशंस हत्याकाण्ड हुआ, वह हमें निरन्तर इस बातकी याद दिलाता रहता है कि जब भी हम बन्धन-मुक्त होनेकी इच्छा करेंगे और अपना सिर उठानेका प्रयत्न करेंगे तब हमेशा ऐसे हत्याकाण्डकी पुनरावृत्ति होगी। भारतपर अंग्रेजोंका शासन उसकी सेवाके लिए नहीं, वरन् उसका शोषण करनेके लिए थोपा गया है। वस्तुतः यह भारतपर थोपे गये व्यापारको सुरक्षा प्रदान करनेके लिए है। इस व्यापारकी मुख्य मद मैंचेस्टरका कपड़ा है। यदि हम जलियाँवाला बाग और 'रेंगनेवाली गली' के अपमानका प्रतिकार करना चाहते हैं तो हमें कमसे-कम विदेशी कपड़ा पहनना छोड़ देना चाहिए तथा हाथ-कती खादी पहननेकी प्रतिज्ञा करनी चाहिए। विदेशी कपड़ा पहनना छोड़नेसे भारतमें ब्रिटेनका व्यापार पंगु हो जायेगा और खादी पहननेकी प्रतिज्ञासे हम उन गरीबोंके नजदीक आयेंगे, जिनकी हमने इतने दिनोंतक उपेक्षा की है। यद्यपि हम संसारके अन्य देशोंके शोषणकर्त्ता कभी नहीं रहे, परन्तु हमने अपने सुख और आरामके लिए अपने ही देशके किसानोंका शोषण किया है। यदि हम विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करनेसे मुकरते हैं, यदि हमें खादी पहनना बहुत ही कष्टकर लगता है तो वैसी हालतमें मुझे तो यही लगता है

  1. यह सन्देश बम्बई प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके तत्वावधानमें १३ अप्रैलको मारवाड़ी विद्यालयके अहातेमें हुई सार्वजनिक सभामें श्रीमती सरोजिनी नायडूने, जो सभाकी अध्यक्षा थी, पढ़ा था।