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३२८. पत्र: प्यारेलाल नैयरको

साबरमती आश्रम
११ अप्रैल, १९२६

प्रिय प्यारेलाल,

तुम्हें हिन्दीमें लिखना जारी रखना चाहिए। समय बचानेके लिए मुझे तो बोलकर अंग्रेजीमें ही लिखाना पड़ेगा——कमसे-कम आज। देवदासकी बीमारीके बारेमें जानकर मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। परेशानी इस बातसे हुई कि जबतक उसका रोग बहुत बढ़ नहीं गया तबतक उसने उसे छिपाकर रखा।

यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि मथुरादास अब पहलेसे कहीं बेहतर है। अगर मथुरादासको अभी भी रोगी कहा जा सकता हो तो उसकी सेवा-शुश्रूषाका ध्यान रखते हुए, जहाँतक बन पड़े वहाँतक तुम अपने स्वास्थ्यका पूरा खयाल रखो, ठीक समयपर खाना खाओ और हर काम नियत समयसे करो। अपनी दिनचर्या भेजना, गोमती बहनका हाल भी बताना, खासकर जबतक किशोरलाल वहाँ नहीं है।

तुम्हारा,

श्रीयुत प्यारेलाल नैयर,


मार्फत——श्री मथुरादास त्रिकमजी
विंडी हॉल
देवलाली


नासिक रोड

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४४७) की माइक्रोफिल्म से