३११. पत्र: कैथरीन मेयोको
साबरमती आश्रम
९ अप्रैल, १९२६
आपने मुझसे पूछा था कि भारतकी गरीबीके विषयमें मेरी जानकारीके स्रोत क्या है। आशा है, उसके उत्तरमें लिखा मेरा पत्र[१]आपको मिल गया होगा।
अब मुझे आपका दूसरा पत्र[२]मिला है, और साथमें आपके तैयार किये नोट्सकी[३] प्रति भी। जहाँ-कहीं आपसे कोई छूट रह गई है, उसे मैंने पूरा कर देनेकी कोशिश की है। यह मुझे कुछ जल्दबाजीमें करना पड़ा है, लेकिन आशा है, इससे काम चल जायेगा।
हृदयसे आपका,
बेडफोर्ड हिल्स
न्यूयार्क
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १२४६२) की फोटो-नकलसे।
३१२. पत्र: शरत् चन्द्र बोसको
साबरमती आश्रम
९ अप्रैल, १९२६
मणिलाल कोठारीने मुझे आपका सन्देश[४] दिया। काश कि उत्तरमें मैं आपको कोई ऐसी चीज दे सकता जो लोगोंको आन्दोलित कर सकती, जो निर्णायक होती और तेजीसे अपना रंग दिखाती। लेकिन, आज देशकी जो हालत है, उसमें मेरे पास ऐसी कोई चीज देने को नहीं है। सभाएँ तो बहुत अधिक हो चुकीं, कौंसिलोंमें विरोध-प्रस्ताव जरूरतसे ज्यादा पेश हो चुके। हमें अब कुछ ठोस काम करना चाहिए, जिससे हमें अपनी शक्तिका अनुभव हो सके। इसलिए अभी तो मैं विदेशी वस्त्रोंके बहिष्कारके