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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  तादात्म्य प्राप्त करते हैं, स्वराज्यप्राप्तिके पक्षमें मदद पहुँचाते हैं और देशबन्धुकी स्मृतिको स्थायित्व प्रदान करनेमें योगदान करते हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ८-४-१९२६

२७३. ब्रह्मचर्यके विषयमें

आजकल ब्रह्मचर्य और उसकी सिद्धिके साधनोंके विषयमें मुझपर पत्रोंकी वर्षा हो रही है। उनमें से एक पत्रमें पूछे गये कुछ प्रश्नोंका उत्तर यहाँ देता हूँ।[१]

ब्रह्मचर्यका अर्थ है आत्माको (ब्रह्मको) पहचाननेका मार्ग, अर्थात् सब इन्द्रियोंका निग्रह। मुख्यतः, स्त्री अथवा पुरुष द्वारा मन, वचन और कायासे विषय-भोगका त्याग।

मेरे आदर्श ब्रह्मचारीको वीर्यका उपयोग करनेकी अर्थात् प्रजोत्पत्ति करनेकी जरूरत ही नहीं रहती। आदर्श ब्रह्मचारी तो प्रजाका दुःख देखकर उसे दूर करनेमें ही लीन हो जायेगा और उसे प्रजाके दुःख-निवारणका कार्य छोड़कर प्रजोत्पत्तिकी झंझटमें पड़ना जहरकी तरह कड़वा मालूम होगा। जिसने संसारके दुःखोंका सम्पूर्ण दर्शन कर लिया है, उसमें विकार पैदा ही नहीं होंगे। वह तो सदा अपने वीर्यका संग्रह ही करेगा। जिस पदार्थसे सन्तानकी उत्पत्ति हो सकती है, उस पदार्थका जो पुरुष अपने शरीरमें संग्रह कर सकता है, वह ऐसा वीर्यवान और शक्तिमान बन जाता है कि उसे सारा जगत प्रणाम करता है। वह चक्रवर्ती सम्राट्से भी अधिक सत्ता भोगता है। जो पुरुष केवल विषय-भोगके क्षणिक सुखके लिए ही वीर्यका क्षय होने देता है, वह शक्तिहीन हो जाता है; उसके शरीरकी अपेक्षा उसका मन और भी अधिक शक्तिहीन हो जाता है और वह दयाका पात्र है। मूर्च्छित होनेके कारण वह भले ही इसमें सुख माने, अनीतिको नीति मानकर अपनेको और समाजको भले ही धोखा दे, परन्तु उसकी स्थिति उस ज्ञानहीन किसानकी तरह दयाजनक है, जो अपने बीजको खेल खेलनेके लिए पानीमें या पत्थरोंमें फेंक दे।

विषय-भोगके लिए होनेवाला आकर्षण इतना अधिक अस्वाभाविक है कि यदि प्रत्येक पुरुष प्रत्येक स्त्रीके प्रति और प्रत्येक स्त्री प्रत्येक पुरुषके प्रति आकर्षित हो तो आज ही इस जगत में प्रलय हो जाये। स्त्री-पुरुषके बीच स्वाभाविक आकर्षण तो वही हो सकता है, जैसा भाई-बहन, माता-पुत्र अथवा पिता-पुत्रीके बीच होता है। ऐसी मर्यादासे ही जगती टिक सकती है। मैं सारे जगतकी स्त्रियोंको माँ, बहन या पुत्री समझकर ही अपना व्यवहार चला सकता हूँ। अगर मैं सारी स्त्रियों के प्रति विकारी बन जाऊँ तो मेरी स्थिति कैसी हो? वे मेरी कैसी फजीहत कर दें? उनके किसी प्रयत्नके बिना भी मेरी क्या स्थिति हो?

  1. प्रश्नोंका अनुवाद नहीं दिया जा रहा है; उत्तरोंसे उनका अनुमान किया जा सकता है।