५. अमरेली कार्यालयमें किसीको योग्यतासे अधिक वेतन दिया जाता है, ऐसा नहीं है, और वहाँ उन्हें, वे जितना उत्पादन करते हैं, उससे ज्यादा खर्च दिया जा रहा है, यह बात भी नहीं है।
मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्
डाकघर-कुम्भाजीनी देरडी (काठियावाड़)
गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ १९८९१) की माइक्रोफिल्मसे।
२६७. पत्र: चिमनलाल भो॰ पटेलको
आश्रम
३ अप्रैल, १९२६
उत्तम शिक्षा विद्यार्थियोंके साथ तन्मय होनेपर ही दी जा सकती है। इसके लिए शिक्षकको पाठ्य विषयोंकी पूरी तैयारी करनी चाहिए।
२. 'गीता' और 'रामायण' को यदि विचारपूर्वक पढ़ा जाये तो उसमें से सब-कुछ मिल जाता है।
३. खुराकमें मुख्यतः गेहूँ, दूध और हरी सब्जियाँ ही काफी हैं। मसालों और तेलका त्याग करना आवश्यक है।
४. शामको बहुत भूख लगे तो थोड़ा दूध लो और यदि यह भारी लगे तो नारंगी या अंगूर या ऐसा ही कोई रसीला फल खाओ। सुबह-शाम यथाशक्ति खुली हवामें उत्साहपूर्वक घूमना चाहिए।
५. हृदय पवित्र करने और एकाग्रचित्त होनेके लिए उपर्युक्त पुस्तकोंका पठन और मनन तथा जब शुभ कार्योंमें न लगे हों तब रामनामका जाप बहुत सहायक होता है।
६. हमें तो प्रयत्नशील होना चाहिए और यह श्रद्धा रखनी चाहिए कि प्रयत्नका फल मिले बिना नहीं रहता।
७. राग-द्वेष आदिका सम्पूर्ण नाश—आत्मदर्शनका यही एक उपाय है।
८. शुभ प्रवृत्तिसे परम शान्ति अवश्य मिल सकती है।
मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्
कमरा नं॰ ३, डाह्या मकनजीनी चाल
घाटकोपर, बम्बई
गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ १९८९२) की माइक्रोफिल्मसे।