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२५७. पत्र: हेलेन हाउसडिंगको

साबरमती आश्रम
३ अप्रैल, १९२६

प्रिय बहन,

आपका पत्र मिला। मुझे खुशी है कि आपकी लगन फलीभूत हुई है और आप जल्दी ही हम लोगों के बीच होंगी। मैं अब आपको और ज्यादा निरुत्साहित नहीं करूँगा और न ही कोई चेतावनी ही दूँगा। मुझे उम्मीद है कि आप यहाँ अपना स्वास्थ्य बनाये रख सकेंगी और आपको निराशाका कोई कारण नहीं मिलेगा। मैं आपको हर तरहका आराम और सुविधा देने तथा ठीक-ठीक व्यस्त रखनेकी भरसक कोशिश करूँगा।

आपने अपनी काती हुई ऊनका जो नमूना भेजा है, वह काफी अच्छा है।

हाँ, बैंकका नाम 'बैंक ऑफ बड़ोदा, अहमदाबाद" ही है।

आप अपनी सिलाईकी मशीन, संगीत-पुस्तक और अपने निजी पुस्तकालयकी सारी पुस्तकें भी अवश्य ले आयें। आपके हिन्दुस्तानी सीखने के लिए हर आवश्यक सुविधा प्रदान की जायेगी।

हृदयसे आपका,

फॉयलाइन हेलेन हाउसडिंग


२६, लिंडनबर्गस्ट्रास


वेरनिंग रोड, ए॰ हात्स

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १२४५९) की फोटो-नकलसे।

२५८. पत्र: डी॰ वी॰ रामस्वामीको

साबरमती आश्रम
३ अप्रैल, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं देखता हूँ कि मैंने कृष्णकी मार्फत[१] आपको और हनुमन्तरावकी विधवाको जो पत्र[२] भेजे थे, वे आपको अबतक नहीं मिले हैं। मेरा निश्चित मत है कि कमसे-कम फिलहाल तो आपको कुछ कमाई करते रहना चाहिए

  1. देखिए "पत्र: सी॰ वी॰ कृष्णको", २१-३-१९२६।
  2. देखिए "पत्र: श्रीमती हनुमन्तरावको", २१-३-१९२६ और "पत्र: डी॰ वी॰ रामस्वामीको", २१-३-१९२६। ये दोनों पत्र गांधीजीने २१ मार्चको ही कृष्णको लिखे पत्रके साथ भेजे थे।