पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/२७१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२५१. पत्र: धीरेन्द्रनाथ दासगुप्तको

साबरमती आश्रम
२ अप्रैल, १९२६

प्रिय मित्र,

खादी-सम्बन्धी कार्यकी रिपोर्टके साथ आपका पत्र मिला। सतीश बाबू अभी हालमें ही यहाँ आये थे और मैंने आपके बारेमें उनसे बातचीत की थी। उन्होंने मुझे बताया कि उनसे जहाँतक बन सकता है, वे आपको पूरी सहायता देने को उत्सुक हैं। चरखा संघके कोषके अलावा मेरे पास सचमुच और कोई पैसा नहीं है जो मैं आपको भेज सकूँ; और चरखा संघके कोषका उपयोग तो सामान्य रीतिसे ही किया जा सकता है। अतएव मुझे उम्मीद है कि आप सतीश बाबूको पत्र लिखकर, जो सहायता आप चाहते हैं, उनसे प्राप्त करेंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत धीरेन्द्रनाथ दासगुप्त


विद्याश्रम


बैनी बाजार, डाकघर, सिलहट

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४०९) की माइक्रोफिल्मसे।

२५२. पत्र: सी॰ वी॰ कृष्णको

साबरमती आश्रम
२ अप्रैल, १९२६

प्रिय कृष्ण,

मुझे उम्मीद है कि हनुमन्तरावके बारेमें लिखा मेरा पत्र तुम्हें मिल गया होगा। यह पत्र मैंने तुम्हारा तार मिलते ही लिख दिया था। मुझे यह भी उम्मीद है कि तुम्हें मेरा तार मिल गया होगा। तुम्हारे पत्रके साथ मैंने एक पत्र श्रीमती हनुमन्तरावको और एक हनुमन्तरावके भाईको भेजा था। मैं यह जाननेको उत्सुक हूँ कि वे पत्र उन्हें मिल गये हैं या नहीं। अब मैं तुम्हें एक और पत्र भेज रहा हूँ, जो हनुमन्तरावको लिखा गया था, परन्तु जो मेरे पास लौट आया है। मैं यह पत्र तुम्हें इसलिए भेज रहा हूँ कि इसमें आश्रमकी चर्चा की गई है। मैं तुम्हारे पत्रकी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूँ।

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत कृष्ण
नेल्लूर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९४१०) की माइक्रोफिल्मसे।