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पत्र: मिर्जा कासिम अलीको

व्यक्तियोंको रखें तो उनसे सेवा नहीं हो सकती। इसलिए जहाँ भी हम जगह लें, फिलहाल किसी दूसरे काममें नहीं पड़ सकते।

अभी तो मैं यहाँ कमसे कम १५ तारीखतक रहूँगा ही। जानेकी तारीख इसके बाद ही किसी दिनकी होगी।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९४०९) की फोटो-नकलसे।

२४७. पत्र: पी॰ एस॰ वारियरको

[१ अप्रैल, १९२६ या उसके पश्चात्]

प्रिय भाई,

आपकी पुस्तक 'अष्टांगशरीर' की प्रतिके साथ आपका पत्र मिला। तदर्थ धन्यवाद। आपको बता दूँ कि 'यंग इंडिया' समालोचना-पत्र नहीं है। इसमें यदा-कदा उन पुस्तकोंकी चर्चा की जाती है जो अत्यन्त महत्त्वकी होती हैं और जो उन्हीं विषयोंपर होती हैं, जिन विषयोंपर सामान्यतया 'यंग इंडिया' लेखादि प्रकाशित करता रहता है।

आपका,

पी॰ एस॰ वारियर
कोटक्कल

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९८८८) की माइक्रोफिल्मसे।

२४८. पत्र: मिर्जा कासिम अलीको

[१ अप्रैल, १९२६ या उसके पश्चात्]

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं अब बिलकुल ठीक होता जा रहा हूँ। 'यंग इंडिया' मुफ्त भेजना मेरे लिए मुश्किल है। आपको किसी वाचनालय में जाकर इसे पढ़ना चाहिए। देशमें हजारों गरीब विद्यार्थी हैं और उन सबको मुफ्त प्रतियाँ बाँटना मेरी सामर्थ्यके बाहर है।

मिर्जा कासिम अली


विद्यार्थी


हैदराबाद

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९८८९) की माइक्रोफिल्मसे।