पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/२४१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०५
कुछ धार्मिक प्रश्न

सकता है। वे मुझे देनेके लिए कह गये हैं। इसलिए वहाँ जाया जा सकता है। अथवा यदि सिंहगढ़ जानेका विचार हो तो वहाँ भी जा सकते हो। वहाँ कमसे-कम हवा ठंडी तो रहती है। जीवराज स्वयं मेरे साथ ही थे। जहाँ काका रहते हैं, वहाँ मैं रह सकूँ, ऐसी सुविधा है; इसलिए तारामतीके साथ तुम तो वहाँ रह ही सकते हो। यदि सिंहगढ़ जानेका इरादा हो तो देवदास जाकर देख आये। तुम्हारे जानेसे काकाको कोई असुविधा होगी अथवा नहीं, यह भी वह देख लेगा। वहाँ जानेकी इच्छा न हो तो धर्मपुर अथवा पंचगनीके बारेमें सोचूँ। धर्मपुर जानेका मतलब मैं यह लगाता हूँ कि वहाँ तुम मलबारीके सेनीटोरियममें रहोगे। मसूरीकी बात भूलनेवाला नहीं हूँ। किन्तु वहां जाकर यदि मुझे अच्छा लगा तो ही तुमसे आग्रह करूँगा।

गुजराती प्रति (एस० एन० १९३९४) को माइक्रोफिल्मसे।

२१३. कुछ धार्मिक प्रश्न

एक भाईने कुछ धार्मिक प्रश्न पूछे हैं। इस तरह के प्रश्न अनेक बार पूछे जाते हैं। मुझे ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने में हमेशा संकोच हुआ करता है। लेकिन मैंने ऐसे प्रश्नोंपर विचार किया है और उनके सम्बन्ध में कुछ निष्कर्षोपर भी पहुँचा हूँ। इसके बावजूद इनका उत्तर न देना उचित नहीं जान पड़ता। अतः नीचे दिये जा रहे प्रश्नोंके उत्तर यथामति और यथाशक्ति दे रहा हूँ।

प्र०—प्राचीन समयमें होनेवाले यज्ञोंके सम्बन्धमें आपके क्या विचार हैं? इससे वायु-शुद्धि होती है अथवा नहीं? क्या आजकल ऐसे यज्ञोंका स्थान है? कुछ संस्थाएँ यज्ञका पुनरुद्धार कर रही हैं। इससे कुछ लाभ होगा क्या?

यज्ञ शब्द सुन्दर है, उसमें शक्ति है। इसलिए जैसे-जैसे ज्ञान और अनुभव बढ़ता जाता है वैसे-वैसे अथवा युग बदलनेके साथ-साथ उसका अर्थ भी विस्तृत हो सकता है और बदल सकता है। यज्ञका अर्थ पूजन, बलिदान या पारमार्थिक कर्म किया जा सकता है। इस अर्थमे यज्ञका पुनरुद्धार करना हमेशा उचित हो सकता है। ले यज्ञके नामपर जो भिन्न-भिन्न यज्ञ अथवा जो भिन्न-भिन्न क्रियाएँ शास्त्रों में वर्णित हैं, उनका पुनरुद्धार इष्ट नहीं है और शक्य भी नहीं है। इनमें से कितनी ही क्रियाएँ तो हानिकर भी हैं। इसके सिवा आज इन क्रियाओंका जो अर्थ किया जाता है, वैदिक कालमें भी उनका वही अर्थ होता था अथवा नहीं, इसमें भी सन्देह है। सन्देह सही हो या न हो, लेकिन इनमें से कुछ क्रियाएँ ऐसी हैं जिन्हें आज हमारी बुद्धि अथवा नीति स्वीकार नहीं कर सकती। प्राचीन शास्त्रवेत्ता कहते हैं कि पूर्व कालमें नरमेध होता था। क्या आज यह सम्भव है? यदि कोई अश्वमेध करनेका आयोजन करे तो यह क्रिया हास्यास्पद लगेगी। यज्ञसे वायु-शुद्धि होती है अथवा नहीं, इस सवालके झमेलेमें पड़ना अनावश्यक है, क्योंकि यज्ञ एक धार्मिक क्रिया है और किसी धार्मिक क्रियाके सम्बन्ध में इस सवालपर विचार करना बिलकुल अप्रस्तुत है कि उससे वायु-