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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यह तय कर दीजिए कि आप कुल कितने तकुए और तकलियाँ देंगे। फिर मैं चाहूँगा कि चारों नमूनेकी चीजें बराबर-बराबर संख्या में दी जायें।

मैं यह भी बता दूँ कि हमें प्रत्येक तकुए और तकलीकी कीमत लगभग दो या ढाई आने पड़ती है। इसलिए यदि आप मुझे हमारे उपयोगके लिए एक लाख तकुए और तकलियाँ देंगे तो यह कमसे-कम १२,५०० रुपयेका दान होगा और जैसा कि मुझे बताया गया है, आपके इसपर कुछ मिलाकर ३,००० रुपयेसे कम नहीं खर्च होंगे।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३९१) की माइक्रोफिल्मसे।

२०८. पत्र : सी० ए० अलेक्जेंडरको

साबरमती आश्रम
२७ मार्च, १९२६

प्रिय श्री अलेक्जेंडर,

मैं आपको इस पत्रके साथ एक पार्सल भेज रहा हूँ, जिसमें तकुओं और तकलियोंके चार नमूने हैं। आपको याद होगा, मैं जब जमशेदपुर गया था उस समय आपकी उपस्थिति में श्री टाटाके साथ मेरी बातचीत हुई थी कि आपके कारखानेसे मुझे एक लाख तकुए और तकलियाँ मिलेंगी। मैं नहीं समझता कि इस बातचीतके बाद इस दिशा में कुछ किया गया है। मैंने श्री टाटाको पत्र लिखा है, जिसमें उनसे पूछा है कि क्या वे इन वस्तुओंके दिये जानेके बारेमें निर्देश देना चाहेंगे। समय बचानेकी खातिर और यह मानकर कि श्री टाटा तो 'हाँ' कहेंगे ही, आपको यह पार्सल भेजा है। सो अब यदि आपको श्री टाटाकी स्वीकृति मिल जाये तो क्या आप मुझे ये वस्तुएँ जल्दसे-जल्द भेजनेकी कृपा करेंगे? मेरे पास इनके लिए अत्यधिक आवेदनपत्र आ रहे हैं और मेरे लिए इनकी माँगको पूरा करना कठिन हो गया है।

यदि पूरे एक लाख तकुए और तकलियाँ भेजनी हों तो मैं चाहूँगा कि चारों नमूनोंके पच्चीस-पच्चीस हजार तकुए और तकलियाँ दी जायें। यह कहनेकी जरूरत नहीं कि वे बिलकुल नमूनेके अनुसार होने चाहिए। तकुओंमें जरा भी फर्क होनेसे वे हिलने लगते हैं और उनपर गतिके साथ काम करना मुश्किल हो जाता है। कोई जरूरी नहीं कि तकलीके रिम भी ताँबे अथवा शतघ्नी धातुके ही बने हुए हों। ढले हुए लोहेसे भी काम चल जायेगा।

हृदयसे आपका,

श्री सी० ए० अलेक्जेंडर
जमशेदपुर

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३९०) की माइक्रोफिल्मसे।