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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी समय नहीं लेनेवाला हूँ। ऐसा समझिए कि वह जब भी बैठे उसके लिए मैं तैयार ही हूँ। यदि पंचायत जल्दी नहीं बैठ सकती तो क्या आप स्वयं ही जाँच करके मुझे नहीं समझा सकते? पंचायत बैठानेके पीछे तो यही उद्देश्य है कि अगर मेरे सन्देहका कारण केवल वहम ही है तो वह वहम दूर हो जाये। यह काम क्या आप स्वयं ही नहीं कर सकते? जो उचित जान पड़े सो कीजिए लेकिन इस असमंजसकी स्थितिको समाप्त कीजिए। मैं धीरज बिलकुल नहीं खोना चाहता। भाई शिवजीके साथ अन्याय हो, यह तो कैसे चाह सकता हूँ? मैं तो इस अनिश्चित स्थितिका अन्त चाहता हूँ।

गुजराती प्रति (एस० एन० १९३८२ आर०) से।

२०३. पत्र : हरबर्ट ऐंडर्सनको[१]

साबरमती आश्रम
२७ मार्च, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। धन्यवाद। मैं इसके साथ प्रान्तीय कांग्रेस कमेटियोंके मन्त्रियों और उनके पतोंकी सूची भेज रहा हूँ। आपके लिए ठीक यही होगा कि आप विधानसभा और प्रान्तीय परिषदोंके प्रत्येक सदस्यको सीधे पत्र लिखे और पूछें कि क्या वे पूर्ण मद्य-निषेधका समर्थन करेंगे। मालूम नहीं कि आपने दिल्ली में मद्यनिषेध लीगकी कार्यवाहियोंके सम्बन्धमें 'यंग इंडिया' में लिखी मेरी टिप्पणी[२] देखी है या नहीं। इसमें मैंने यह दिखानेका प्रयत्न किया है कि जबतक आप यह नहीं बताते कि पूर्ण मद्य-निषेधसे होनेवाले घाटेको, जो कमसे-कम कुछ समयतक बना रहेगा, कैसे पूरा करेंगे और राजस्वका इन्तजाम कहाँसे करेंगे, तबतक आपका आन्दोलन...[३]

यदि आपने वह अंक नहीं देखा है तो मैं आपको उस अंककी एक प्रति, यदिbमिली तो, सहर्ष भेजूँगा; नहीं तो उस टिप्पणीकी एक टाइप की हुई प्रति ही भेज दूँगा।

हृदयसे आपका,

रेवरेंड हरबर्ट ऐंडर्सन

५९, किंग्स रोड

हावड़ा, कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १२१६४) की फोटो-नकलसे।

 
  1. गांधीजीने यह पत्र भारतकी मद्य-निषेध लोगके अवैतनिक महामन्त्री दरवर्ट ऐंडर्सनके १९-३-१९२६ को लिखे पत्रके उत्तर में लिखा था। अपने पत्र में इरबर्ट ऐंडर्सनने गांधीजीसे अनुरोध किया था कि वे उनके मद्य-निषेध आन्दोलनके समर्थन में अपने "निजी प्रभाव" का उपयोग करें।
  2. देखिए खण्ड २९, पृष्ठ ४२९-३२।
  3. साधन-सूत्रमें यहाँ स्थान रिक्त है।