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१९४. पत्र : कैथरीन मेयोको

साबरमती आश्रम
२६ मार्च, १९२६

प्रिय बहन,

आपके जाने से पहले आपका पत्र मिल गया, इससे मुझे बड़ी खुशी हुई, और उससे भी ज्यादा खुशी यह जानकर हुई कि आप सारा मामला...[१] विचार कर रही हैं। मैंने जो-कुछ कहा, उसकी सचाईकी छानबीन आप स्वयं कीजिए और तब किसी निर्णयपर पहुँचिए। यही वह बात है जो मैं चाहता हूँ कि सभी अमेरिकी मित्र करें। किसी बातपर यों ही यकीन न करें, हर बातको—चाहे वह किसी भारतीय सूत्रसे ज्ञात हो या यूरोपीय सूत्रसे, वह भारतके पक्षमें या विपक्षमें हो—खुद जाँचें और पूरी तरह सोच-विचारकर कोई निष्कर्ष निकालें और उसके अनुसार आचरण करें।

मैं इस पत्रके साथ उन किताबोंका उद्धरण भेज रहा हूँ, जिनके नाम आप उद्धरणोंके अन्त में पायेंगी। फिर भी यदि आपको उन पुस्तकोंको प्राप्त करने में कठिनाई हो, जिनसे ये उद्धरण लिये गये हैं तो कृपया मुझे सूचित कीजिए। मैं इतना और कहना चाहूँगा कि भारतकी गरीबीके बारेमें जो बात कही गई है वह स्वर्गीय सर विलियम विलसन हंटरके साक्ष्यपर ही आधारित नहीं है, बल्कि उस कथनकी पुष्टि बादमें एकाधिक भारतीय और यूरोपीय विशेषज्ञोंके कथनोंसे हुई है। यदि आप मुझसे इस जानकारीको भी सिद्ध करवाना चाहें तो मुझे इसके प्रमाण भेजनेमें खुशी होगी। मैं आपको एक तरीका सुझा रहा हूँ, जिसे तथ्यकी छानबीनके लिए कोई साधारणसे-साधारण व्यक्ति भी अपना सकता है।

१. क्या यह सच है या नहीं कि भारतके लगभग ८० प्रतिशत लोग खेतिहर हैं और १,९०० मील लम्बे और १,५०० मील चौड़े क्षेत्रमें दूर-दूस्तक फैले गाँवों में रहते हैं?

२. क्या यह सच है या नहीं कि ये किसान छोटे-छोटे खेतोंपर बसर कर रहे हैं; और बहुधा बड़े जमींदारोंके आसामीकी तरह रहते हैं?

३. क्या यह सच है या नहीं कि उनमें से बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगोंकी है, जिनके पास कमसे-कम सालमें चार महीने कोई काम नहीं होता?

४. क्या यह सच है या नहीं कि अंग्रेजोंके शासनसे पहले इन्हीं लोगोंके पास खेतीके कामके अलावा हाथ-कताई और कुछ अन्य सहायक उद्योग-धन्धे थे, जिनसे उन्हें खेतीसे होनेवाली अल्प आयके अतिरिक्त कुछ और मिल जाता था।

५. क्या यह सच है या नहीं कि यद्यपि हाथ कताईको पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है, तथापि किसी अन्य धन्धेने उसका स्थान नहीं लिया है?

 
  1. यहाँ साधन-सूत्र में कुछ स्थान खाली है।