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टिप्पणियाँ
गद्दे, चद्दरें, तौलिये, पर्दे, गिलाफ इत्यादि तमाम आवश्यक चीजें खादी प्रतिष्ठानसे खादी लेकर ही तैयार की गई हैं।
हम लोगोंने इस अस्पतालका नाम "चित्तरंजन सेवासदन" रखा है। इस संस्थाको सफल बनाने के लिए हम भरसक प्रयत्न करेंगे और इसके लिए हम आपका आशीर्वाद चाहते हैं।...

ऐसी शुभ परिस्थितियों में खोले गये इस अस्पतालको, जिसके पास काफी पैसे भी हैं, दिन-प्रति-दिन तरक्की होनी चाहिए और उससे बंगालकी मध्यम वर्गकी स्त्रियोंको आवश्यकताएँ पूरी होनी चाहिए। इस अस्पतालसे हमें इस बातका स्मरण होता है कि देशबन्धुको सामाजिक कार्य भी उतना ही प्रिय था, जितना कि राजनीतिक। वे अगर चाहते तो अपनी जायदादको राजनीतिक कार्यके लिए दे सकते थे। परन्तु उन्होंने जान-बूझकर उसे समाज-सेवाके हेतु समर्पित कर दिया और उसमें भी स्त्रियोंकी सेवाको अधिक महत्त्व दिया।

क्या उसपर अमल होगा?

दक्षिण भारत में पोल्लाचिमें हुई कोंगु वेल्लाल परिषद्ने निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया है:

यह परिषद् कोंगु वेल्लाल जातिकी स्त्रियों और लड़कियोंसे यह आग्रह करती है कि वे हाथ-कताईको अपना जातीय पेशा समझें और वे सब खादीके ही कपड़े पहनें। और इसका यह भी विश्वास है कि इस देशसे अकालको दूर करनेका साधन चरखा ही है।

इस प्रस्तावको पास करनेके लिए मैं परिषद्को बधाई देता हूँ; लेकिन जिन्हें हाथ-कताईको अपना एक जातीय पेशा समझकर उसको स्वीकार करनेकी सलाह दी गई है, क्या वे उसको स्वीकार करेंगी? और क्या जिन्होंने खादी पहननेके लिए मत दिया है, वे भी उसको अंगीकार करेंगे? मैं परिषद् के सदस्योंसे यह कहूँगा कि जबतक पुरुष हाथ-कताईको न अपनायेंगे तबतक स्त्रियोंको कातनेके लिए समझाना बड़ा ही मुश्किल काम होगा। और जबतक इस क्षेत्रमें ऐसे पुरुष काफी तादाद में नहीं होंगे जो कताईमें कुशलता प्राप्त कर लेंगे और वहाँके चरखोंमें जैसे सुधार उपयुक्त हों वैसे सुधार उनमें करेंगे तबतक चरखों या सूतकी किस्ममें सुधार करना तो वे और भी मुश्किल पायेंगे। हाथ-कताईका कार्य प्रस्तावोंके बनिस्बत ठोस कार्यपर ही अधिक निर्भर करता है। तमाम रचनात्मक कार्यों में प्रस्तावोंकी उपयोगिता बड़ी सीमित होती है। उनसे सिर्फ थोड़ा-सा प्रचार ही होता है। लेकिन सारा दारोमदार तो सिर्फ सूझ-बूझके साथ लगातार काम करते रहनेपर ही होता है।

खादीके मासिक आँकड़े

निम्न छ: प्रान्तोंने अपने जनवरी महीनेके खादीके उत्पादन और बिक्रीके आँकड़े[१] भेजे हैं, जो उनके नामोंके सामने दिये गये हैं:

 
  1. आँकड़े यहाँ नहीं दिये जा रहे हैं।