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पत्र : जयसुखलालको

लेना। इस बार जब तुमने हुण्डी लिखी उस समय जमनालालने यहाँ पुछवाया था और तुम्हारी साखको धक्का न पहुँचे, इसलिए मैंने तार द्वारा जमनालालको हुण्डी स्वीकारनेको कह दिया था। लेकिन ऐसा दूसरी बार नहीं हो सकता। तारसे हुण्डियाँ स्वीकारनेमें आजकल जोखिम भी है। लोग बड़े लोगोंके नामका प्रयोग करके पैसा खा गये हैं, इसलिए व्यापारी अब तारसे पैसेका लेन-देन बहुत कम करते हैं। निर्णयके अनुसार तुम्हें खादी तो तैयार करनी ही चाहिए। दो वस्तुओंका अवश्य ध्यान रखना। सामर्थ्य से बाहर काम करके ऐसी स्थिति मत उत्पन्न करना कि सारा काम समेट लेने की नौबत आ जाये। जो शर्तें मुझे बताई गई हैं उन शर्तोसे बाहर एक भी पैसा खर्च न करना। इतना अवश्य याद रखना कि मेरे पास रुपयोंकी कोई अखूट खान नहीं है। रंगूनसे अभी एक पैसा भी नहीं आया है। जो पैसा दिया है, वह तो जोखिम उठाकर दिया है और सो भी हमने तुम्हारी शक्ति और दूरदर्शिताको ध्यान में रखकर यह साहस किया है।

अप्रैल मासकी पहली तारीखको मैं कदाचित् मसूरीके लिए रवाना हो जाऊँगा। मेरी अनुपस्थितिम जितना मैंने कह रखा होगा, केवल उतना ही पैसा निकाला जा सकेगा, यह याद रखना। इसलिए जो शर्तों पहले हुई हैं उनके अनुसार अभी भी कुछ पैसा देना निकलता हो तो तुम मुझे बताना और मैं उसमें सुधार कर लूँगा। जो हुण्डी लिखी जाये उसके बारेमें सबसे पहले यहीं खबर मिलनी चाहिए। यहाँसे जमनालालको पत्र जायेगा तथा उसके अनुसार ही उसे स्वीकार किया जायेगा। गरियाधारके बारेमें भाई जगजीवनदासके साथ सलाह-मशविरा करके जो करना उचित जान पड़े उसके बारेमें मुझे सूचित करना। गारियाधारके बारेमें मुख्य रूपसे तुमपर निर्भर करूँगा। अमरेली केन्द्रकी बिक्रीके बारेमें भी तुम भाई जगजीवनदासके साथ सलाह-मशविरा करना। मैं उन्हें लिखनेवाला हूँ।

रामदास वहाँ रहे या न रहे, फिलहाल तुम अमरेली नहीं छोड़ सकते। उमिला और बचु यहाँ तुम्हारे बिना क्यों नहीं रह सकते?

गुजराती प्रति (एस० एन० १९३७६) की माइक्रोफिल्मसे।