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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं उसकी प्राप्तिकी सूचना पानेके लिए बड़ा चिन्तित रहा हूँ। कारण यह है कि मैं अपने आपको इस विषय में आश्वस्त करना चाहता हूँ कि आपका पत्र मोतीलालजीको दिखाकर मैंने आपका विश्वास भंग तो नहीं किया है।

कारण चाहे जो हो, लेकिन सिर्फ आराम करनेके लिए यूरोप जाना मेरे मनको गवारा नहीं होगा। कश्मीरकी बात छोड़ दीजिए तो भी भारत और भारतके आसपासके देशों में—जैसे लंका या बर्मामें—ऐसे बहुत से स्थान हैं जहाँ आराम करनेके खयालसे जानेकी मैं सोच सकता हूँ; वैसे सच तो यह है कि कश्मीर या हिमालयकी किसी दुर्गम पहाड़ीपर जाकर मुझे जितनी खुशी होगी उतनी खुशी और कहीं जानेसे नहीं होगी। इसलिए अगर मैं फिनलैंड जाऊँगा तो तभी जाऊँगा जब उसके पीछे किसी ठोस लाभकी प्रेरणा हो। दुनियाके विद्यार्थियोंके निकट सम्पर्कमें आनेकी बात, निस्सन्देह, आकर्षक है। यही कारण था कि फिनलैंडके निमन्त्रणको मैंने अमेरिकासे आये निमन्त्रणकी तरह अन्तिम रूपसे अस्वीकार न करके उसका अनिर्णयात्मक उत्तर ही दिया; उसके वादसे बात आगे नहीं बढ़ी है। अगर फिर निमन्त्रण आता है तो मैं उसके गुण-दोषके आधारपर ही उसके बारेमें फैसला करूँगा। लेकिन, मैं आपको इस बातका विश्वास दिलाता हूँ कि मुझे आपकी तरह परिवर्तन और विश्राम की आवश्यकता नहीं है। अगर मित्रगण बातको बढ़ा-चढ़ाकर पेश करें तो मैं क्या कर सकता हूँ?

लेकिन, अगर में फिनलैंड गया तो बेशक मार्गदर्शक, मित्र और सलाहकारके रूपमें आपका साहचर्य प्राप्त करके मुझे बड़ी खुशी होगी। कारण, यूरोपमें मैं लन्दन, इंग्लैंडके कुछ तटवर्ती स्थानों और पेरिसके अलावा और कहीं नहीं गया हूँ, जबकि आप सारी दुनियाका भ्रमण कर चुके हैं।

आप कब जानेवाले हैं?

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

लाला लाजपतराय

१२, कोर्ट स्ट्रीट

लाहोर

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ११३३९) की फोटो-नकलसे।