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एक विलक्षण सुझाव

मेरे सामने एक सत्याग्रही कैदीका एक पत्र है। यह कैदी चार सालसे अधिक समयतक जेल-जीवनका अनुभव ले चुका है। जब वह जेलसे छूटा तब मैंने उससे अपने अनुभव बताने के लिए कहा। उसने अपने अनुभवोंका जो वर्णन दिया है, वह कुछ बातोंमें मौलिक है। अधिकारियोंके अत्याचारों और जेल-जीवनके कष्टोंके सम्बन्धमें कुछ बतानेके बजाय उसने मुझे अपने आत्म-निरीक्षणके परिणाम दिये हैं। मैं उसके पत्रमें से नीचेके दो अनुच्छेद चुनता हूँ:

मैं प्रायः सोचता हूँ कि हर छात्रको अपना अध्ययन समाप्त करनेके बाद कमसे-कम छः मासके लिए बलात् जेल भेज देना चाहिए। मेरे विचारसे अंग्रेज लड़कोंको यूरोपकी यात्रा करनेसे जितना लाभ होता है, उसकी अपेक्षा भारतीय छात्रोंको जेल जाने में अधिक लाभ होगा। आजकल अपनी इच्छा से तपस्या करना बहुत कठिन है, किन्तु यदि हम अपने लड़कोंको जीवनमें प्रवेश करनेसे पूर्व जेलमें रखें तो हमें तपस्याके लगभग सभी लाभ सुगमता से मिल सकते हैं। बाहरी दुनियासे छः महीनेतक अलग रहकर वे उस सब ज्ञानको पचा सकेंगे जो उन्होंने अपने स्कूलों और कॉलेजोंमें अर्जित किया है और उस ज्ञानका उपयोग कैसे करें, इस सम्बन्धमें गम्भीरतासे सोचनेका शान्तिपूर्ण अवकाश पा सकेंगे। इस प्रकार गम्भीरतासे सोचनेका अवकाश जेलके बाहर रहकर हर आदमीको नहीं मिलता। हममें से अधिकतर लोगोंके पास न विचार हैं और न निश्चित कार्य; हम जो कुछ करते हैं, उसका आधार प्रायः विचारकी अपेक्षा हमारे मनमें किसी समय जो भाव या प्रेरणा प्रबल हो, वही होती है। हमने पिछले साल क्या किया है और हम अगले साल क्या करेंगे, इस सम्बन्ध में विचार करनेके लिए हममें से हरएक व्यक्ति हर साल कुछ समयके लिए, उदाहरणार्थ, एक मासके लिए, जेल क्यों न जाये?
जेल-जीवनका दूसरा रूप, जिसकी ओर मेरा ध्यान विशेषतः गया है, कैदियोंकी रहन-सहनकी वह पद्धति है जिससे वे इतने साफ-सुथरे रह सकते हैं, इतने कम खर्च में गुजारा कर सकते हैं और इतनी सादगी रख सकते हैं। यदि जेलों में भ्रष्टाचार न हो और लोगोंको वहाँ बलात् बन्द न रखा जाता होता तो ये संस्थाएँ थोड़ी-थोड़ी मजदूरीपर गुजारा करनेवाले हमारे गाँवों और शहरोंके लोगोंके लिए अनुकरणीय नमूनेका काम दे सकती हैं।

यद्यपि मेरी दृष्टिसे भारतकी जेलोंमें सफाईके सम्बन्धमें बहुत-कुछ करना बाकी है, फिर भी मैं पत्र-लेखकके दिये हुए विवरणकी पुष्टि कर सकता हूँ। हमारे गाँवों में जैसी सफाई रहती है, उससे जेलोंकी सफाई निश्चय ही ज्यादा अच्छी होती है। असलमें गाँवों में जिस चीजको देखकर हर आदमीको दुःख होता है, फिर आप चाहे भारतके किसी भी भागके गाँवोंमे जायें, वह सफाईकी कमी ही है। इसी प्रकार जेलकी खुराककी